सार
Puja Khedkar anticipatory bail denied: दिल्ली हाईकोर्ट से बर्खास्त ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनके प्री-अरेस्ट बेल अप्लीकेशन पर अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। जून से अगस्त तक सुर्खियों में रहीं पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर शारीरिक और मानसिक विकलांगता का फर्जी सर्टिफिकेट लगाने, नाम व सरनेम बदलने, ओबीसी सर्टिफिकेट में जालसाजी कर सिविल सेवा एग्जाम पास करने का आरोप है।
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया पूजा खेडकर का इरादा अधिकारियों को धोखा देने का था। उसने जो भी किया वह एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। खेडकर नियुक्ति के लिए अयोग्य हैं। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप, जिनमें जालसाजी और धोखाधड़ी शामिल है, न केवल एक अथॉरिटी बल्कि पूरे देश के साथ की गई धोखाधड़ी का एक क्लासिक उदाहरण है।
कैसे सुर्खियों में आईं ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर?
- खेडकर का विवाद जून में शुरू हुआ, जब पुणे कलेक्टर ने उनके अनावश्यक लाभ मांगने की शिकायत महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से की।
- विवादों में रहने वाली पूजा खेडकर पर फर्जी दस्तावेज लगाकर यूपीएससी पास होने का आरोप लगा। क्रीमीलेयर का भी अनुचित लाभ लेने का उन पर आरोप लगा।
- जांच में खुलासा हुआ कि उनके पिता के पास ₹40 करोड़ की संपत्ति है, जिससे वे ओबीसी के गैर-क्रीमी लेयर के तहत पात्र नहीं थीं।
- जांच में यह भी सामने आया कि खेडकर ने कथित रूप से ओबीसी प्रमाणपत्र और विकलांगता के फर्जी दस्तावेज बनाकर आरक्षण का लाभ उठाया। उन्होंने अनिवार्य स्वास्थ्य जांच भी नहीं करवाई, जो विकलांगता छूट के लिए जरूरी थी।
- सितंबर में केंद्र सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया और यूपीएससी ने उनका चयन रद्द कर दिया।
क्या कहा पूजा खेडकर ने?
हालांकि, अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए पूजा खेडकर ने विकलांगता को सही ठहराने के लिए अस्पताल का प्रमाणपत्र पेश किया जिसमें ACL (घुटने की समस्या) की बात कही गई। खेडकर ने तर्क दिया कि केवल उनका मध्य नाम बदला गया था और उनके दस्तावेज़ों को UPSC ने बायोमेट्रिक डेटा के जरिए सत्यापित किया था।
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