सार
वैज्ञानिकों की 140 से ज्यादा टीमें कई महीनों से रात-दिन एक कर सुरक्षित और प्रभावी टीका बनाने की कोशिश में जुटी हैं। दुनिया की अलग-अलग सरकारों की नजर सटीक वैक्सीन पर है। वैक्सीन पाने के लिए इस वक्त हर देश में होड़ है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (COVID-19 vaccine) का टीका कब बनकर तैयार होगा? ये वो सवाल है जिसके जवाब का इंतजार दुनिया के हर कोने में हो रहा है। इसी सवाल की कड़ी में रूस से एक दावा सामने आया है। कहा गया कि इसी हफ्ते दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन लॉन्च हो जाएगी। वैक्सीन को रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री के साथ गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। वैक्सीन का तीसरा ट्रायल लगभग हो चुका है। अंतिम स्टडी हो रही है।
वैक्सीन को 1600 लोगों पर टेस्ट किया गया है। 12 अगस्त के दिन इसे रजिस्टर किया जाएगा। सबसे पहले मेडिकल प्रोफेशनल और बुजुर्गों को वैक्सीन मिलेगी। वैसे भले ही रूस पहला वैक्सीन बना ले, मगर भारत समेत दुनियाभर में वैज्ञानिकों की 140 से ज्यादा टीमें कई महीनों से रात-दिन एक कर सुरक्षित और प्रभावी टीका बनाने की कोशिश में जुटी हैं। दुनिया की अलग-अलग सरकारों की नजर सटीक वैक्सीन पर है। वैक्सीन पाने के लिए इस वक्त हर देश में होड़ है। कहीं से भी मिले, लेकिन कारगर। डील्स अभी से शुरू हैं।
आइए जानते हैं कि किन-किन फेज में दुनिया की कितनी वैक्सीन हैं और हर फेज में आखिर हो क्या रहा है। भारत की नरेंद्र मोदी सरकार वैक्सीन बनाने के अलावा और क्या तैयारी कर रही है?
#1. प्री क्लिनिकल ट्रायल
दुनियाभर में 139 वैक्सीन का अभी 'ह्यूमन ट्रायल' यानी इंसानों पर परीक्षण शुरू नहीं हुआ है।
होता क्या है इसमें?
इस स्टेज की टेस्टिंग में वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण किया जाता है और उनकी इम्यून रेस्पोंस की स्टडी की जाती है।
#2. फेज 1
इस वक्त 25 वैक्सीन छोटे स्केल की सेफ़्टी ट्रायल में हैं।
होता क्या है इसमें?
क्लिनिकल टेस्टिंग के दौरान लोगों के एक छोटे ग्रुप को वैक्सीन दी जाती है। इस दौरान दो प्रमुख परीक्षणों पर नजर होती है। एक- यह कितना सुरक्षित है और दूसरा- इम्यून रेस्पोंस किस स्तर का है।
#3. फेज 2
दुनियाभर में 17 वैक्सीन एक्स्पेंडेड सेफ़्टी ट्रायल में हैं।
होता क्या है इसमें?
ट्रायल में 100 लोगों को वैक्सीन देते हैं। इस फेज में वैज्ञानिक ज्यादा से ज्यादा सेफ़्टी और दवा के सही डोज का अध्ययन करते हैं।
#4. फेज 3
अलग-अलग रिसर्च टीम की 7 वैक्सीन बड़े स्तर पर प्रभावकारी सेफ्टी ट्रायल में हैं।
होता क्या है इसमें?
ट्रायल में वैक्सीन की सेफ़्टी कनफर्म करने के लिए इसे 1000 लोगों को दिया जाता है। ये ट्रायल अलग मौसम और जियोग्राफी के लोगों पर भी किया जाता है। ट्रायल के दौरान वैक्सीन की रेयर साइड इफ़ेक्ट्स और उसके असर की स्टडी होती है।
#5. अप्रूव वैक्सीन
कोरोना महामारी में मरीजों को देने के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन रजिस्टर नहीं हुई है।
होगा क्या इसमें?
अलग-अलग फेज के तमाम परीक्षणों की स्टडी के बाद पहले संबंधित सरकारें वैक्सीन को रजिस्टर करेंगी। इसके बाद वितरण और टीकाकरण किया जाएगा।
अंतिम ट्रायल में हैं ये 4 वैक्सीन
#1. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ने दूसरे और तीसरे फेज में ट्रायल के दौरान बेहतरीन इम्यून रेस्पोंस दिखाया। दूसरे और तीसरे फेज का परीक्षण यूके में हुआ। अब तीसरे फेज के ट्रायल के लिए साउथ अफ्रीका और ब्राजील में परीक्षण जारी है।
#2. मॉडर्ना
अमेरिकी सरकार के साथ बायोटेक कंपनी मॉडर्ना भी कोरोना की वैक्सीन बना रही है। वैज्ञानिकों के रिसर्च में पहले दो फेज में वैक्सीन कई लिहाज से सटीक पाई गई है। अभी इसके तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है।
#3. बायोनटेक फिजर
ये जर्मनी की वैक्सीन है। जर्मनी, अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना में 32 हजार से ज्यादा लोगों पर इसका ट्रायल हो रहा है। शुरुआती फेजेज़ में वैज्ञानिकों को ट्रायल से बेहतरीन नतीजे मिले हैं।
#4. सिनोवैक
चीन की कुछ कंपनियां वैक्सीन बनाने की कोशिश में हैं। इसमें से Sinovac भी है। शुरुआती फेज का ट्रायल सेफ़्टी मानकों पर खरा पाने का दावा किया गया है। ब्राजील में अब वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल होगा।
#5. और भारतीय वैक्सीन कहां है?
देश में दो वैक्सीन पर रिसर्च और ट्रायल का दौर जारी है। इसमें एक है आईसीएमआर के साथ भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' और दूसरी है- ZyCoV-D। दूसरी वैक्सीन को अहमदाबाद की एक फार्मा कंपनी बना रही है। 'कोवैक्सीन' के पहले और दूसरे फेज का ट्रायल साथ ही शुरू हुआ था। दूसरे फेज के आगे का परीक्षण दिल्ली के एम्स में जारी है। माना जा रहा है कि साल के अंत तक कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च हो जाएगी।
तीसरे फेज का ट्रायल कब खत्म होगा?
तीसरे फेज में जो सात वैक्सीन हैं उनका ट्रायल, सेफ़्टी और रेस्पोंस चेक के बाद जल्द खत्म हो सकता है। हालांकि वैक्सीन के लंबे समय तक के असर की स्टडी में काफी वक्त लग सकता है जिसके बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आशंका जताई है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का परीक्षण जुलाई 2021 तक खत्म होगा, जबकि मॉडर्ना का अक्तूबर 2022 और बायोनटेक फिजर का जून 2021 तक ट्रायल खत्म होगा।
वैक्सीन बनने से पहले मोदी सरकार की तैयारी
वैक्सीन अभी बनी नहीं है, लेकिन सबसे कारगार वैक्सीन को हासिल करने के लिए भारत सरकार ने एक टास्कफोर्स का गठन किया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने सबसे सटीक वैक्सीन की पहचान करने, इसे हासिल करने और लोगों तक पहुंचाने-टीकाकरण के लिए टास्क फोर्स बनाया है। इसमें संबंधित मंत्रालयों और संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे। सोर्सेस के आधार पर रिपोर्ट में बताया गया कि नीति आयोग के डॉ. वीके पॉल इसे लीड करेंगे।
दरअसल, मोदी सरकार की योजना है कि दुनिया का पहला टीका आने से पहले अगर स्वदेशी टीका बन गया तो ठीक। और नहीं बन पाया तो दूसरे देश से खरीदकर लाया जाएगा।
WHO और एक्सपर्ट्स की चिंताओं का क्या
दुनियाभर में वैक्सीन को लेकर हो रहे रिसर्च पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ एक्सपर्ट्स की अपनी चिंताएं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कोई वैक्सीन कितना सटीक और सुरक्षित है उसके प्रभाव को जानने में काफी लंबा वक्त लगेगा। WHO के साथ कई एक्सपर्ट्स भी फौरी तौर पर किसी वैक्सीन की सफलता को लेकर सशंकित हैं। लंबे वक्त तक वैक्सीन की सफलता को किस्मत के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है। यानी किस्मत ठीक रही तो सब ठीक। नहीं तो और लंबा इंतजार।