सार
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 7 महीने से आंदोलित किसानों ने शनिवार को देशभर के राजभवन पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान जुटने वाली भीड़ से कोरोना के सुपर स्प्रेडर बनने का खतरा पैदा हो गया है।
नई दिल्ली. किसान आंदोलन को 7 महीने पूरे हो गए हैं। इसी सिलसिले में शनिवार को देशभर में किसानों ने प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसान राजभवन पर विरोध प्रदर्शन करके ज्ञापन सौंपा। इस आंदोलन का असर मुख्यत: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अधिक देखने को मिला। हरियाणा के पंचकूला में किसानों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए। किसान आंदोलन के शुरुआत से ही दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बार्डर पर धरने पर डटे हुए हैं।
दिल्ली में कोई प्रदर्शन नहीं होगा
भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि राजपाल को ज्ञापन सौंपकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठाई गई है। पंचकुला, मोहाली और लखनऊ में आंदोलन को लेकर बड़ी संख्या में किसान पहुंचे।
26 नवंबर से धरने पर बैठे हैं
आंदोलित किसान दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर 26 नवंबर से धरने पर बैठे हुए हैं। किसान आंदोलन को देखते हुए दिल्ली में यलो लाइन पर शनिवार को तीन मेट्रो स्टेशन-विश्वविद्यालय, सिविल लाइन्स और विधानसभा सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक बंद रहेंगे।
राहुल बोले-हम किसानों के साथ हैं
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के सात महीने पूरा होने पर शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी इन सत्याग्रही अन्नादाताओं के साथ खड़ी है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘सीधी-सीधी बात है- हम सत्याग्रही अन्नदाता के साथ हैं।’’ गौरतलब है कि केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही।
धारा 370 हटने को सही ठहराया
किसान नेता राकेश टिकैत ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने को सही फैसला बताया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद से वहां के किसानों और आम जनता का नुकसान हुआ है। उन्हें पहले जैसा पैकेज नहीं मिल रहा है। उन्हें पहले अच्छा ट्रांसपोर्ट पैकेज मिलता था, जो अब नहीं मिल रहा है।
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