सार
केरल के एक कॉलेज में NEET का एग्जाम के दौरान चेकिंग के नाम पर लड़कियों के इनरवियर उतरवाने का शर्मनाक मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि चेकिंग करते समय जब हुक के संपर्क में आने से मेटल डिटेक्टर की बीप बजी, तो स्टाफ ने लड़कियों से ब्रा उतारने को कहा। पढ़िए पूरी बात..
कोल्लम. केरल के कोल्लम में एक एग्जाम सेंटर पर तलाशी के नाम पर लड़कियों के इनरवियर उतरवाने का शर्मनाक मामला सामने आया है। मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET देने पहुंची छात्राएं के ब्रा के हुक जब मेटल डिटेक्टर से चेक करने पर मशीन बीपी की आवाज करने लगी, तो स्टाफ ने कहा कि वे ब्रा उतारें, वर्ना एग्जाम नहीं दे पाएंगी। हालांकि इंस्टीट्यूट ऐसी किसी भी घटना से इनकार कर रहा है। जबकि कोल्लम पुलिस चीफ केबी रवि ने मामले में FIR दर्ज करने की बात कही है। एक शख्स ने कहा कि उनकी बेटी ने एक कमरे में इनरवियर पड़े देखे थे। एग्जाम सेंटर पर कई लड़कियां रोते देखी गईं। बता दें NEET देश के 546 शहरों के अलग-अलग सेंटर्स पर आयोजित की गई। इस साल 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने इस परीक्षा में भाग लेने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। (यह तस्वीर दिल्ली की है)
प्रोटोकॉल के तहत ऐसा करने को कहा
यह शमर्नाक मामला मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में रविवार को हुए NEET एग्जाम में देखने को मिला। इस मामले में एक लड़की के पिता ने पुलिस में FIR दर्ज कराई है। छात्रा का कहना है कि जब उसने ब्रा निकालने से मना किया, तो महिला कर्मचारी ने कहा कि एग्जाम में बैठने नहीं देंगे। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रह है कि सेंटर पर 90 प्रतिशत लड़कियों के इनरवियर उतरवाए गए। लड़कियों से जींस तक उतारने को कहा गया। जब वे एग्जाम देकर बाहर निकलीं, तो इनरवियर बाहर एक डिब्बे में पड़े मिले। एग्जाम प्रोटोकॉल के तहत परीक्षार्थी मेटल की कोई चीज लेकर नहीं जा सकता है। ऐसा धोखाधड़ी रोकने के मकसद से किया गया है। ब्रा में लगे हुक मेटल के होते हैं। हालांकि एग्जाम के लिए जो एडवायजरी जारी की है, उसमें बेल्ट का उल्लेख है, लेकिन ब्रा या अंडरगारमेंट्स का नहीं।
एक पिता की पीड़ा-मेरी बेटी रोते हुए बाहर निकली
ब्रा उतरवाने से खुद को अपमानित और शर्मिंदा महसूस करने वाली एक छात्र के पिता गोपकुमार सूरनाद ने पुलिस को की अपनी शिकायत में कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा जारी आधिकारिक सूचना बुलेटिन में मेटल के हुक वाली ब्रा पर किसी तरह का बैन होने का जिक्र नहीं है। जब उनकी बेटी ने अपना अंडरवियर उतारने से इनकार कर दिया, तो उसे एग्जाम में नहीं बैठने देने की चेतावनी दी। पिता ने कहा-“मेरी बेटी लंबे समय से इस एग्जाम की तैयारी कर रही थी। लेकिन वह ठीक से नहीं लिख पा रही थी। इस घटना से आहत वो रोती हुई हमारे पास लौटी। स्टाफ ने छात्राओं को जबरन अंडरवियर उतारने को कहा था। बच्चे बहुत असहज थे। उनमें से कई रो रहे थे। यदि ऐसा है, तो वे फ्रिस्किंग(टटोलकर-frisking) अंडरवियर की जांच कर सकते थे। लेकिन उन्हें क्यों हटाएं? NEET बुलेटिन में ऐसे कोई नियम नहीं हैं। ”
हालांकि इस बीच मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के अधिकारियों ने सफाई दी कि उनका कोई भी कर्मचारी तलाशी प्रक्रिया(frisking) में शामिल नहीं था। बायोमेट्रिक उपस्थिति(biometric attendance) नो करने और फ्रिस्किंग के लिए दो एजेंसियों को काम सौंपा गया था। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इस पर क्या नियम हैं। एजेंसी का स्टाफ ही इन सबकी जांच करता है। कुछ मामलों में जब बच्चे हमारे पास रोते हुए आए, शॉल पहनने की अनुमति मांगते हुए, हमने हस्तक्षेप किया और उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी।
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