सार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फिनलैंड और स्वीडन को धमकी दी थी कि नाटो में शामिल होने के बाद अंजाम बुरा होगा। इसके बावजूद दोनों देशों ने नाटो में शामिले होने के लिए आवेदन दे दिया है।
नई दिल्लीः नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) अपनी मेंबरशिप में विस्तार कर रहा है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण नाटो ने यह फैसला लिया है। ऐसे में फिनलैंड नाटो का मेंबर बनने जा रहा है। नाटो में ज्वाइन होने के लिए फिनलैंड और स्वीडन ने औपचारिक रूप से आवेदन कर दिया है। जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पहले ही यूरोपीय देशों को चेतावनी दे दी थी। बीते रविवार को ही NATO के हेड जेम्स स्टेलबर्ग ने भी कह दिया था कि फिनलेड को फास्टट्रैक मेंबरशिप दिया जाएगा।
पुतिन ने फिनलैंड और स्वीडन को दी धमकी
रूस यूक्रेन युद्ध का आज 83वां दिन है। बीते कुछ दिनों से रूसी सैनिक लगातार यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों पर हमला कर रहे हैं। इसी बीच व्लादिमीर पुतिन ने फिनलैंड और स्वीडन को धमकी दे डाली है। फुतिन ने कहा कि अगर ये दोनों देश NATO में शामिल होते हैं तो वे हमारे लिए खतरा बनेंगे और इसके लिए उन्हें अंजाम भुगतना होगा। मतलब साफ है कि समय आने पर पुतिन फिनलैंड और स्वीडन पर भी हमला कर सकते हैं। वहीं फिनलैंड के पीएम ने NATO में शामिल होने को शांति का रास्ता बताया है। स्वीडन के पीएम ने बताया कि उन्होंने आवेदन दे दिया है। पुतिन ने अपने एक बयान में कहा है कि 'फिनलैंड और स्वीडन NATO में शामिल होते हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन इस क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचे का विस्तार निश्चित रूप से हमारी प्रतिक्रिया को भड़काएगा। आगे हम देखेंगे कि अगर कोई खतरा पैदा करेगा तो हम कैसे निपटेंगे।'
NATO में शामिल होगा फिनलैंड
- फिनलैंड 1917 में आजाद हुआ था। उस वक्त ज्यादातर हिस्सा रूस के अधीन था। रूस की 1300 किमी लंबी सीमा फिनलैंड से मिलती है। सेकेंड वर्ल्ड वॉर में फिनलैंड रूस के खिलाफ था।
- NATO के सदस्य देशों नॉर्वे, पॉलैंड, एस्टोनिया, लाताविया, लिथुआनिया की रूस के साथ करीब 1200 कतिमी लंबी सीमा जुड़ती है। फिनलैंड का NATO में शामिल हो जाने के बाद यह सीमा दोगुनी हो जाएगी।
- फिनलैंड के सदस्य बनते ही रूस के उत्तरी मोर्चे पर भी NATO पहुंच जाएगा।
- रूस की व्यापारिक राजधानी और अरबपतियों का शहर सेंट पीटर्सबर्ग फिनलैंड की सीमा से 170 किमी दूर है। जिससे रूस को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- फिनलैंड और स्वीडन के आवेदन में एक साल लग सकता है। नाटो के सभी मेंबर से स्वीकृति मिलने के बाद शामिल होगा फिनलैंड और स्वीडन। इस वक्त तक के लिए नाटो से फिनलैंड और स्वीडन ने सुरक्षा गारंटी मांगी है।
- नाटों में शामिल होने की शर्त में दोनों देशों ने कहा है कि इसे ऐसा ही माना जाएगा जैसे नाटो के किसी देश में हमला होना सभी देशों में हमला होने जैसा होगा।
- अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन ने फिनलैंड और स्वीडन की मदद करने की बात कह दी है। कहा है कि अगर हमला हुआ तो वे दोनों देशों का समर्थन करेंगे।
फिनलैंड और नाटो का रिश्ता
फिनलैंड और स्वीडन भी नाटो के ऑपरेशन्स और एयर पुलिसिंग में भी योगदान करते हैं। दोनों देश नाटो के सबसे करीबी सहयोगी हैं। रूस यूक्रेन युद्ध के बीच दोनों देश नाटो के साथ बैठकों में भी शामिल होते रहे हैं। आपको बता दें कि नाटो की गाइडलाइन के मुताबिक मेंबर देश को देश के जीडीपी का दो प्रतिशत डिफेंस में खर्च करना होता है। फिनलैंड इसे काफी पहले से पूरा करता आ रहा है। हालंकि स्वीडन अपने डिफेंस बजट को बढ़ाने में लगा है।
NATO क्या है
नॉर्थ अटलांटिंक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) की स्थापना 1949 में हुई थी। नाटो के नियमानुसार अर सदस्य देशों पर कोई देश हमला करे तो सारे सदस्य देश मिलकर उसका जवाब देते हैं। 1949 में जब नाटो बना तो इसके अमेरिका समेत 12 संस्थापक सदस्य थे। नाटो की स्थापना इस वजह से की गई कि सोवियत संघ का बढ़ता प्रभाव रोका जा सके। आपको जानकारी दें कि नाटो एक सैन्य संगठन है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत 30 देश इसमें शामिल हो चुके हैं।