सार

अकसर मौसम विभाग की भविष्यवाणी को लेकर मीम्स बनते रहे हैं। हालांकि यह सभी जानते हैं कि मौसम का मिजाज कोई नहीं पढ़ सकता। लेकिन इस बार IMD को मौसम विभाग ने ऐसा चकमा दिया कि उसकी फजीहत हो गई। उसने एक स्पष्टीकरण दिया है। पढ़िए पूरी कहानी...

नई दिल्ली. दिल्ली में मानसून के आने को लेकर भारतीय मौसम विभाग(IMD) की भविष्यवाणी कई बार फेल हो गई। इसे लेकर लोगों ने मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर सवाल खड़े कर दिए। जब चारों तरफ से सवाल उठने लगे, तब मौसम विभाग ने अपनी सफाई दी है। पढ़िए IMD ने क्या तर्क दिया...

13 जून को देश के ज्यादातर भागों को कवर किया
दक्षिण पश्चिम मानसून 13 जून तक लगातार आगे बढ़ता रहा। केरल में मानसून का आगमन 3 जून को हुआ उसके बाद बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हुआ तथा वायुमंडल में एक सरकुलेशन बना जिससे अनुकूल मौसमी स्थितियों में मानसून लगातार तेजी से आगे बढ़ता चला गया।

मानसून ने 13 जून तक उत्तर पश्चिम भारत को छोड़कर देश के अधिकांश भागों को कवर कर लिया। उस दौरान मौसम से जुड़े गणितीय मॉडल ट्रोपो स्फीयर(पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे निचला हिस्सा है। इसी परत में आर्द्रता, जलकण, धूलकण, वायुधुन्ध तथा सभी मौसमी घटनाएं होती हैं।) के निचले स्तर पर आर्द्र पूर्वी हवाओं के आने का संकेत कर रहे थे, जिसके आधार पर संभावना बनी थी कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 13 जून के बाद अगले 48 घंटों में मध्य प्रदेश के अधिकांश भागों में; उत्तर प्रदेश के बाकी क्षेत्रों में; दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में भी दस्तक दे देगा। इस संभावना को ध्यान में रखते हुए 13 जून को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें दिल्ली में 15 जून तक मानसून के आगमन का पूर्वानुमान लगाया गया था।

अगले दिन स्थितियां बदल गईं
14 जून को उपग्रह से प्राप्त बादलों की तस्वीरों और मौसम पूर्वानुमान संबंधी गणितीय मॉडलों से प्राप्त संकेतों से पता चला कि मध्य लैटीट्यूड में पश्चिमी हवाओं का एक ट्रफ बन रहा है, जिससे उत्तर पश्चिम भारत के क्षेत्रों में पूर्वी दिशा से आने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाएंगी। मध्य लैटीट्यूड पर पश्चिमी हवाओं की संभावित स्थितियों से यह स्पष्ट हो गया कि यह हवाएं मानसून के मार्ग में विपरीत प्रभाव डालेंगी, इसलिए दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून के आगे बढ़ने की संभावना नहीं है। मौसमी परिदृश्य में इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए भारतीय मौसम विभाग ने 14 जून को एक संशोधित प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें यह स्पष्ट किया कि दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में दक्षिण पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने में देरी होगी और यह विलंब से पहुंचेगा। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में पश्चिमी हवाओं के प्रभावी होने का पूर्वानुमान मौसम संबंधी मॉडल करने में असफल रहे।

16 जून को भविष्यवाणी की
16 जून को भी आईएमडी ने एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें यह कहा गया कि दिल्ली में मानसून के आगमन में देरी होगी और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में यह धीमी गति से आगे बढ़ेगा। इसी के अनुरूप में 19 जून को उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ और भागों में मॉनसून में प्रगति दिखी।

लेकिन मानसून आगे नहीं बढ़ा
20 जून के बाद से लंबे समय तक मानसून आगे नहीं बढ़ा। ऐसा ब्रेक मॉनसून कंडीशन के चलते हुआ। इस संबंध में नियमित आधार पर 22, 24, 26 और 30 जून तथा 1 जुलाई को विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की और समय-समय पर मीडिया को भी जानकारी दी कि दिल्ली सहित उत्तर पश्चिम भारत के बाकी भागों में मानसून के आगे बढ़ने में देरी होगी और देश के बाकी क्षेत्रों में मानसून में ब्रेक की कंडीशन बनी रहेगी।

मानसून के भटकने की ये रहीं वजहें
मानसून के आगे बढ़ने में देरी के ये कारण रहे-(i) बंगाल की खाड़ी पर किसी भी निम्न दबाव का विकसित ना होना (ii) दिल्ली के पास मानसून ट्रफ की अनुपस्थिति (iii) 5-6 पश्चिमी विक्षोभों का उत्तर भारत से होकर गुजरना, जिससे पूर्वी मॉनसून हवाओं को उत्तर भारत के मैदानी भागों में पहुंचने का अवसर नहीं मिल सका।

5 जुलाई को मानसून की स्थिति पर एक अपडेटेड प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें यह कहा गया कि मौसमी स्थितियां 10 जुलाई तक मॉनसून के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ और भागों तथा दिल्ली में आगे बढ़ने के अनुकूल बन रही हैं।

मॉडल के विश्लेषण के आधार पर यह अनुमान जारी किया गया कि 10 जुलाई से बंगाल की खाड़ी की तरफ से पूर्वी आर्द्र हवाएं पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर पश्चिम भारत पर व्यापक रूप में चलने लगेंगी, जिससे मानसून आगे बढ़ेगा तथा राजधानी दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों में 10 जुलाई से बारिश की गतिविधियां भी बढ़ जाएंगी।

इसी अनुमान के अनुरूप उत्तर पश्चिम भारत में पूर्वी आर्द्र हवाएं चलने लगीं। 8 जुलाई के बाद निचले स्तर पर पूर्वी हवाएं तराई क्षेत्रों में स्थाई रूप से अपना प्रभाव बनाने लगीं और 9 जुलाई के बाद पूर्वी हवाओं का प्रवाह उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी क्षेत्रों पर भी बढ़ गया। इन हवाओं के कारण बादल भी आने लगे और सापेक्षिक आर्द्रता में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इसके चलते मानसून के फिर से प्रभावी होने में मदद मिली और पूर्वी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर में अधिकांश स्थानों पर जबकि पंजाब और पश्चिमी राजस्थान में कुछ जगहों पर मानसून वर्षा शुरू हो गई। हालांकि इन बदलावों के बीच भी दिल्ली में बारिश नहीं हुई। जबकि दिल्ली के चारों ओर कई जगहों पर मॉनसून सक्रिय हो गया।

दिल्ली को लेकर ये दी सफाई
दिल्ली में मानसून के आगे बढ़ने का पूर्वानुमान जारी करने के लिए गणितीय मॉडलों की असफलता असामान्य है। अर्थात ऐसा प्रायः देखने को नहीं मिलता है। यहां यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि आई एम डी ने बीते वर्षों में दिल्ली पर मॉनसून के आगमन का पूर्वानुमान सटीकता से जारी किया और 2021 में भी मॉनसून के देश के अन्य भागों में आगे बढ़ने संबंधी पूर्वानुमान चार-पांच दिन पहले ही जारी कर दिया जो सटीक रहा। आईएमडी वर्तमान मौसम की स्थिति की निरंतर निगरानी कर रहा है और दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत के शेष हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने का पूर्वानुमान जारी करेगा।

बहरहाल, दिल्ली में सोमवार को बारिश का सिलसिला चल पड़ा।

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