सार
सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का छठा एपिसोड, जो आपके लिए लाया है एक इंटरव्यू ने कैसे तहस-नहस कर दिए सपने और न जाने कहां गायब हो गईं दिग्गज नेता।
From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का छठा एपिसोड, जो आपके लिए लाया है-एक इंटरव्यू ने कैसे तहस-नहस कर दिए सपने और न जाने कहां गायब हो गईं दिग्गज नेता की कहानी।
मुख्यमंत्री के इंटरव्यू ने तहस-नहस कर दिए नेताजी के सपने...
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू दिया। अब तक लोग समझ रहे थे कि मुख्यमंत्री इस पारी के बाद रिटायर हो जाएंगे, लेकिन उनके इंटरव्यू से मामला उल्टा नजर रहा है। उनका कहना है- हमारा पक्ष मजबूत होता जा रहा है। यह तय है कि हमारी ही सरकार रिपीट होगी और सरकार रिपीट होती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मैं नाम नहीं लूंगा लेकिन इस बारे में आप सब जानते हैं? अशोक गहलोत ने सरकार और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर और भी काफी सारे बातें कीं। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद क्या एक बार फिर उस युवा नेता का सपना सपना बनकर ही रह जाएगा? यह माना जा रहा था कि अगली बार युवा चेहरा ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि वह कुर्सी छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले। ऐसे में अब युवा नेता के भविष्य का क्या होगा?
चर्चा में रहने वाली भाजपा की दिग्गज नेता आखिर क्यों गायब हो गई?
राजस्थान भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज और दबंग महिला नेता कुछ दिनों से मीडिया की सुर्खियों से गायब हैं। आये दिन बयान देकर चर्चा में रहने वाली महिला नेत्री को लेकर लोग सवाल पूछ रहे हैं कि वो आजकल कहां हैं? दरअसल, प्रदेश में 10 जनवरी के बाद आलाकमान का दौरा बन रहा है। अंदरखाने यह चर्चा है कि मैडम से आलाकमान नाराज चले रह हैं। यही वजह है वो इन दिनों किसी भी तरह की बयानबाजी से बच रही हैं। इस महिला नेता का नाम तो पहचान ही गए होंगे आप?
पाक की नापाक हरकत..
क्या आप जानते हैं कि FIH मेन्स हॉकी वर्ल्ड कप ट्रॉफी में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्से के रूप में दिखाया गया था। 2016 में नरिंदर बत्रा के FIH अध्यक्ष बनने के बाद इस पर एक्शन लिया गया। बत्रा ने कहा था कि वो किसी भी भारतीय नेता को भारत में 2018 विश्व कप के दौरान वर्ल्ड कप ट्रॉफी को प्रेजेंट करने की अनुमति नहीं देंगे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि भारतीय सीमा शुल्क गलत नक्शे के साथ इस ट्रॉफी को भारत में प्रवेश करने की मंजूरी न दें। दिलचस्प बात ये है कि 1975 में भारत ने जो विश्व कप ट्रॉफी जीती थी, उसमें जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कई मौकों पर पाकिस्तान FIH के कार्यकारी बोर्ड में सदस्य था, जबकि भारत को 2016 में ही पहली बार मौका मिला, जब बत्रा FIH के अध्यक्ष बने। इसके बाद 2017 में वर्ल्ड कप ट्रॉफी को सुधारा गया और उसके बाद देशों की बाउंड्रीज को हटाते हुए केवल महाद्वीपों को ही इसमें दिखाया गया।
कहानी घर-घर की...
देवेगौड़ा फैमिली ट्री ने वाकई में अपनी जड़ें फैला ली हैं। लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य अब भी 'ये दिल मांगे मोर' चिल्ला रहे हैं। वजह साफ है, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव जो होने हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मैसूर क्षेत्र में गौड़ा परिवार के कुछ और सदस्य इस चुनावी मौसम में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा बहस का विषय वो प्राइम सीटें हैं, जहां से देवेगौड़ा की बहुएं चुनाव मैदान में हैं। वर्तमान में, देवेगौड़ा राज्यसभा के सदस्य हैं, वहीं उनके पोते प्रज्वल लोकसभा के मेंबर हैं। गौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी, एच डी रेवन्ना और बहू अनीता कुमारस्वामी विधायक हैं। परिवार के दो अन्य सदस्य डीसी थम्मन्ना और बालकृष्ण भी विधायक हैं। पोते सूरज रेवन्ना विधान परिषद के सदस्य हैं और बहू भवानी रेवन्ना हसन जिला पंचायत की सदस्य हैं। पार्टी ने पहले ही परिवार के ज्यादातर सदस्यों की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। अगले दौर में और टिकट मिलेंगे। लेकिन लिस्ट काफी लंबी लग रही है। हालांकि, सभी की नजरें भवानी रेवन्ना और अनीता कुमारस्वामी के बीच होने वाले राजनीतिक मुकाबले और उसके नतीजों पर टिकी हैं। नॉक-आउट राउंड में विजेता कौन होगा, फिलहाल ये सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
From The India Gate: इधर जीत के बाद उम्मीदों के सहारे चाचा, तो उधर बाबा का टशन देख फूलीं सरकार की सांसें
जातीय समीकरण...
कर्नाटक के जातीय समीकरण में वोक्कालिगा समुदाय बेहद प्रभावशाली माना जाता है। इसमें बिल्कुल भी हैरानी वाली बात नहीं है कि बीजेपी अपनी राज्य इकाई का नेतृत्व करने के लिए समुदाय के एक नेता को ही आखिर क्यों पसंद करती है। हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए वोक्कालिगा समुदाय के साथ संबंध बनाए रखने को महत्वपूर्ण बताया था। पार्टी को ये भी यकीन है कि अनुभवी येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय को भी साधे रखेंगे। लेकिन उन्हें एक ऐसे नाम की जरूरत है जो वोक्कालिगा समुदाय के वोटों खोल दे। वर्तमान बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील का कार्यकाल पूरा होने वाला है, ऐसे में जल्द ही नए मुखिया की तलाश शुरू हो जाएगी। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि कर्नाटक में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सीएन अश्वथनारायण और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि के बीच टॉस होगा।
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