सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 38वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 38वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

'चुप्पी' कुछ कहती है..

गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से कहा था कि कर्नाटक के बीजेपी अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के नाम की घोषणा 'अधिक मास' के बाद की जाएगी। हालांकि, इस पर सस्पेंस अब भी जारी है। दिल्ली में बीजेपी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय कैबिनेट में जल्द ही फेरबदल होगा। कैबिनेट फेरबदल के साथ ही कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष, विपक्ष के नेता की नियुक्ति और कोर कमेटी का गठन होगा। लेकिन अगर आप पूछें कि ये सब कब होगा? तो इसका आसान-सा उत्तर है- 'केवल मोदी ही जानते हैं'। सीनियर लीडर्स ने ऑफ द रिकॉर्ड बात करते हुए कहा- कर्नाटक में हुई बीजेपी की बड़ी हार से प्रधानमंत्री अब भी अपसेट हैं। स्पष्ट संकेतों के बावजूद किसी ने भी पीएम मोदी को संभावित नतीजों के बारे में जानकारी नहीं दी। पीएम मोदी इस बात से व्यथित थे कि राज्य के लिए उनकी सारी योजनाएं विफल हो गईं। शायद यही वजह है कि वे घोषणा की संभावित तारीख को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।

आखिर तक पत्ते खोलने का इरादा नहीं..

प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में होने वाले आगामी चुनावों में पार्टी की योजनाओं की रणनीति बनाने के लिए कर्नाटक हार से सबक ले रहे हैं। जमीनी स्तर पर स्थिति को समझने के लिए उन्होंने हाल ही में इन राज्यों में पार्टी के बड़े नेताओं के साथ तीन घंटे की बैठक की। पार्टी मध्य प्रदेश में जहां शिवराज सिंह चौहान को प्रोजेक्ट कर रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में कलेक्टिव लीडरशिप के साथ प्रयोग करना चाहती है। हालांकि, राजस्थान मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि बीजेपी अब भी नहीं समझ पा रही है कि वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ वहां किस तरह की डील की जाए। हो सकता है कि राजस्थान में एक रणनीति के तहत बीजेपी सीएम उम्मीदवार की घोषणा न करे। लेकिन बीजेपी को छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों की भी चिंता है। चूंकि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को भी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए बीजेपी राजस्थान को एक सुरक्षित दांव मानती है। इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है कि पार्टी ने वोटिंग डेट के ठीक पहले तक अपने पत्ते न खोलने का फैसला किया है।

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सावरकर को बताया ‘वामपंथी’..

एलडीएफ के संयोजक ईपी जयराजन ने जब एक सार्वजनिक समारोह में कहा कि विनायक दामोदर सावरकर एक अति वामपंथी व्यक्ति थे, तो उनकी ये बात सुन दर्शकों के होश उड़ गए। ईपी जयराजन ने भारतीय इतिहास के अब तक के अनसुने अध्याय पर प्रकाश डालते हुए कहा- सावरकर अति वामपंथी विचारधारा के अनुयायी थे। इन्हीं आदर्शों को आत्मसात करते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अंडमान जेल में बंद हुए। वे जानते थे कि उनका भाग्य तय हो गया है। जयराजन यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा- जब सावरकर सेल्युलर जेल में बंद थे तो हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने उनसे मुलाकात की और उन्हें अंग्रेज़ों से लिखित माफी मांगने की सलाह दी। सावरकर ने इस सलाह को माना और अपने आप को जमानत देते हुए खुद को बरी कर लिया। इतिहास से जुड़े इस तरह के बेवजह के इंटरप्रिटेशन देने वाले ईपी जयराजन अक्सर गलत फैक्ट्स देते हैं। इसके लिए कई बार उनका मजाक भी उड़ चुका है, लेकिन बावजूद इसके वो आधारहीन बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं।

KCR vs KCR

तेलंगाना में इन दिनों नाम के शॉर्ट फॉर्म की लड़ाई देखी जा रही है। ऐसा राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव की वजह से भी है। दरअसल, फिल्म पुष्पा के एक्टर अल्लू अर्जुन के ससुर के.चंद्रशेखर रेड्डी, जिनकी नजरें नागार्जुन सागर निर्वाचन क्षेत्र पर टिकी हुई हैं, उन्होंने सोशल वर्क के लिए KCR (कंचरला चन्द्रशेखर रेड्डी) नामक एक फाउंडेशन शुरू किया है। हालांकि, उनका यह कदम लोगों को दिखावा लग रहा है, क्योंकि कई लोग उनके फाउंडेशन को बीआरएस के टॉप लीडर और मुख्यमंत्री KCR के संक्षिप्त नाम से जोड़कर देख रहे हैं। लोगों का मानना है कि ये भ्रमित करने वाला है और नकल का ये खेल ऐसे समय में सामने आया है, जब सीएम के.चंद्रशेखर राव उर्फ ​​KCR उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर भरोसा करते हुए, ज्यादातर मौजूदा सदस्यों को एक बार फिर मैदान में उतारा जाएगा। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सीएम नागार्जुन सागर में एक 'अलग' नाम चाहते थे। इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नोमुला नरसिम्हैया ने किया था, जिन्होंने 2018 में बीआरएस टिकट पर जीत हासिल की थी। दिसंबर, 2020 में उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे नोमुला भगत ने उपचुनाव जीता। अब ऐसी अफवाहें हैं कि बीआरएस पार्टी नोमुला भगत की जगह के.चंद्रशेखर रेड्डी को नागार्जुन सागर से टिकट दे सकती है। वहीं, के.चंद्रशेखर रेड्डी भी अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए दामाद अल्लू अर्जुन के स्टारडम का दिखावा कर रहे हैं। अल्लू अर्जुन नलगोंडा में एक कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन के मौके पर ससुर के समर्थन में सार्वजनिक रूप से मौजूद थे। वैसे, KCR नाम के नए फाउंडेशन को नागार्जुन सागर से मैदान में उतारने के लिए BRS नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिशों के रूप में भी देखा जा रहा है।

अपमान का घूंट..

कहा जाता है कि राजस्थान सरकार में दूसरे सबसे ताकतवर शख्स माने जाने वाले इन मंत्रीजी का नाम लेने मात्र से कोई भी मसला सुलझ जाएगा। उन्हें अपने रसूख और ताकत पर भी घमंड था, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। क्योंकि पिछले हफ्ते इन मंत्रीजी को उनकी ही पार्टी के लोगों ने घेर लिया था। दरअसल, मंत्रीजी हाल ही में ट्रेन में गोली मारकर हत्या कर दिए गए एक शख्स के परिजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने गए थे। लेकिन उनकी ही पार्टी के सदस्यों ने उन्हें घेर कर चिल्लाना शुरू कर दिया और मांग की कि परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। तब मंत्रीजी ने भीड़ को शांत करने की काफी कोशिश की लेकिन उन्हें पूरी तरह अनसुना कर दिया गया। ये अपमान मंत्रीजी को किसी भी सूरत में पचने वाला नहीं है। हालांकि, वे वहां से एक नया सबक लेकर लौटे हैं। अब देखना होगा कि उन्हें वाकई में अपने कर्मों का आत्मज्ञान हुआ है या नहीं?

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