सार
कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग के बीच सोमवार को वर्किंग कमेटी की बैठक होनी है। माना जा रहा है कि बैठक में सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकती हैं। वहीं, इस बैठक में नए अंतरिम अध्यक्ष या अध्यक्ष का भी ऐलान हो सकता है। 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
नई दिल्ली. कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग के बीच सोमवार को वर्किंग कमेटी की बैठक होनी है। माना जा रहा है कि बैठक में सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकती हैं। वहीं, इस बैठक में नए अंतरिम अध्यक्ष या अध्यक्ष का भी ऐलान हो सकता है। 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी ने अगस्त 2019 में अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पदभार संभाला था। हालांकि, पार्टी में तभी से बदलाव की मांग उठ रही है। लेकिन 23 नेताओं का पत्र सामने आने के बाद अब कांग्रेस दो गुटों में बंटी नजर आ रही है।
सोनिया गांधी गांधी-नेहरू परिवार की ऐसी सदस्य हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस की कमान संभाली। सोनिया गांधी 20 साल तक अध्यक्ष रहीं। तो वहीं, राहुल सबसे कम समय अध्यक्ष रहने वाले गांधी-नेहरू परिवार के सदस्य हैं। राहुल ने 16 दिसंबर 2017 को पार्टी की कमान संभाली थी। और 2019 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
आजादी के बाद 38 साल नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य अध्यक्ष रहे
1885 में कांग्रेस की स्थापना हुई थी। इसके बाद 88 अध्यक्षों ने कांग्रेस का नेतृत्व किया। इनमें से आजादी के बाद के 72 साल में 19 अध्यक्ष बने। इनमें से 38 साल नेहरू-गांधी परिवार का सदस्य ही पार्टी अध्यक्ष रहा।
कांग्रेस अध्यक्ष | कार्यकाल | कितने साल |
जवाहरलाल नेहरू | 1951 से 1954 | 3 |
इंदिरा गांधी | 1969, 1978 से 1984 तक | 7 |
राजीव गांधी | 1985 से 1991 तक | 6 |
सोनिया गांधी | 1998 से 2017 तक | 20 |
राहुल गांधी | 2017 से 2019 तक | 2 |
कुल | 38 साल |
गाधी परिवार में राजीव-सोनिया और राहुल के अध्यक्ष रहते पार्टी को हार मिली
गांधी परिवार से राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही ऐसे सदस्य हैं, जिनके कांग्रेस अध्यक्ष रहते पार्टी को लोकसभा चुनाव में हार मिली।
सदस्य | अध्यक्ष का कार्यकाल | लोकसभा चुनाव में हार |
राजीव गांधी | 1985-91 | 1989 में लोकसभा चुनाव में हार मिली |
सोनिया गांधी | 1998-2017 | 1999, 2014 लोकसभा चुनाव |
राहुल गांधी | 2017-2019 | 2019 लोकसभा चुनाव |
इन वजहों से उठ रही परिवर्तन की मांग
- कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठने के पीछे सबसे अहम वजह है पार्टी का जनाधार कम होना। सोनिया गांधी ने 1998 में कमान संभाली थी। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2004 और 2009 में दो लोकसभा चुनाव जीते। लेकिन 2014 में सोनिया के अध्यक्ष रहते पार्टी को इतिहास में सबसे कम 44 सीटों पर सिमटना पड़ा। वहीं, राहुल के नेतृत्व में लड़े गए 2019 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ 52 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
- कांग्रेस में स्थाई नेतृत्व ना मिल पाने की वजह से कांग्रेस का कैडर कमजोर हुआ है। पार्टी में 2010 में जहां 4 करोड़ सदस्य थे। तो वहीं अब यह 1 करोड़ से कम रह गए हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनावों तक में पार्टी का वोट % लगातार कम हो रहा है। राज्यों में पार्टी में खींचतान से भी कार्यकर्ताओं पर असर पड़ा है।
- कांग्रेस की मौजूदा वक्त में सिर्फ छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र में सरकार बची है।