सार
सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने तीनों सेनाओं के नेतृत्व के लिए चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद के सृजन की मंजूरी दे दी है। इससे तीनों सेनाओं को नेतृत्व मिलेगा।
नई दिल्ली. सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने तीनों सेनाओं के नेतृत्व के लिए चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद के सृजन की मंजूरी दे दी है। इससे तीनों सेनाओं को नेतृत्व मिलेगा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किए जाने वाला अफसर एक 4 स्टार जनरल होगा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख भी होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तीनों सेना प्रमुखों सहित किसी भी सैन्य कमान का प्रयोग नहीं करेंगे।
डोभाल ने सौंपी रिपोर्ट
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख होंगे, जिसका सृजन रक्षा मंत्रालय करेगा और वह इसके सचिव के रूप में काम करेंगे। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। इस समिति ने सीडीएस की जिम्मेदारियों और ढांचे को अंतिम रूप दिया था।
बिपिन रावत बन सकते हैं देश के पहले सीडीएस
माना जा रहा है कि मोदी सरकार सेना प्रमुख बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस बना सकती है। वे 31 दिसंबर को सेना से रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने सेना अध्यक्ष होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से ऐलान किया था कि हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति करेंगे। इसे आजादी के बाद सबसे बड़ा सैन्य बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। सीडीएस का सुझाव करगिल युद्ध के बाद आया था, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई।
सीडीएस के पास होंगी ये जिम्मेदारियां?
- सीडीएस सरकार के प्रधान सलाहकार होंगे।
- सीडीएस सरकार और सैन्य बलों के बीच संपर्क सेतु की तरह काम करेंगे।
- युद्ध या अन्य परिस्थिति में सरकार को एक सूत्री सैन्य सलाह मुहैया होगी।
- तीनों सेनाओं में तालमेल के अलावा सैद्धांतिक मसलों, ऑपरेशनल समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी।
- देश के सामरिक संसाधनों और परमाणु हथियारों का बेहतर प्रबंधन।
भारत को तीनों सेनाओं में एक सेनापति की जरूरत क्यों?
1999 में करगिल युद्ध में पाया कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी रह गई थी। इसे थलसेना और वायुसेना के बीच अनबन के तौर पर देखा गया। करगिल युद्ध के बाद मंत्रियों के समूह ने रिपोर्ट पेश कर सीडीएस की सिफारिश की थी। साथ ही इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि तत्कालीन सेना प्रमुख तालमेल की कमी के चलते एकसूत्री रणनीति बनाने में नाकाम रहे। इसके बाद 2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी (सीओएससी) और 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर कमेटी ने तीनों सेना प्रमुखों के अलावा 4 स्टार जनरल के तौर पर चीफ कोऑर्डिनेटर पद की सलाह दी।
भारत की मौजूदा सैन्य प्रणाली?
अभी चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) होता है। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख रहते हैं। सबसे वरिष्ठ सदस्य को इसका चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। यह पद सीनियर सदस्य को रोटेशन के आधार पर रिटायरमेंट तक दिया जाता है। लंबे समय से चीफ ऑफ डिफेंस बनाने की मांग हो रही थी।