कैसे तैयार होता है मांजा और पतंग? तस्वीरों में देखें कितनी मेहनत करते हैं कारीगर
अहमदाबाद के पुराने शहर में कारीगर उत्तरायण 2026 से पहले बड़ी मेहनत से रंग-बिरंगे मांजे तैयार कर रहे हैं। वे सूती धागों को हाथ से चमकीले और धारदार बना रहे हैं।

उत्तरायण की तैयारी
अहमदाबाद के पुराने शहर की गलियों में, आसमान में रंग बिखरने से बहुत पहले, एक शांत और बारीकी से किया जाने वाला काम चल रहा है। उत्तरायण 2026 की तैयारियां ज़ोरों पर हैं, क्योंकि पतंग बनाने वाले और कारीगर इस त्योहार की जान यानी मांजा तैयार कर रहे हैं। यही खास धागा आसमान को रंग और हुनर के मैदान में बदल देता है।
धागे-कलर और मेहनत करते कारीगर
अहमदाबाद से आई शानदार तस्वीरें दिखाती हैं कि कारीगर सूती धागे की चरखियों पर झुके हुए हैं और हर धागे को गोंद और पिसे हुए कांच के मिश्रण में हाथ से डुबोकर उस पर परत चढ़ा रहे हैं। रंग-बिरंगे पिगमेंट उनकी उंगलियों पर लग जाते हैं, जब वे धागों को मोड़ते, खींचते और सुखाते हैं, जिससे साधारण सूती धागा एक तेज़, चमकीले तार में बदल जाता है जो उड़ान के दौरान प्रतिद्वंद्वियों की पतंगों को काट सकता है।
एक कारीगर धागे का तनाव ठीक करते हुए कहता है, “यह प्रक्रिया बहुत नाजुक है। हर चरखी एकदम सही होनी चाहिए। एक कमजोर धागा घंटों की पतंगबाज़ी बर्बाद कर सकता है।”
पुरानी परंपरा को जिंदा रखने का सुकून
ये तस्वीरें इस मेहनत में छिपी खूबसूरती को दिखाती हैं: धूप में सूखते चमकीले रंगे हुए धागों की कतारें, सधे हुए हाथों की हरकतें, और सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखने वाले कारीगरों के चेहरों पर गर्व का भाव।
अलग-अलग डिजाइन की पतंगे
पतंग बनाने वाले भी पतंगों का ढांचा तैयार करते हैं, बांस के लचीले फ्रेम पर कागज़ चढ़ाते हैं और उन्हें चटख रंगों से रंगते हैं। हर पतंग उत्तरायण की बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार की जाती है, जहाँ हुनर, धैर्य और तैयारी ही तय करती है कि कौन-सी पतंग उड़ेगी और कौन-सी गिरेगी।
खुशी और रंगों का त्योहार
हालांकि उत्तरायण पूरे गुजरात में परिवार के साथ और छतों पर होने वाली पतंगबाज़ी के साथ मनाया जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत इन्हीं कारखानों में होती है। हाथों की मेहनत, धागों पर परत चढ़ाने, मोड़ने और लपेटने की लय, और हर पतंग का सावधानी से निर्माण ही इस त्योहार की खुशी और रंगों का आधार है।
त्योहार से पहले की तैयारी की ये तस्वीरें कारीगरी, धैर्य और कला की कहानी कहती हैं—यह याद दिलाती हैं कि अहमदाबाद के आसमान में उड़ने वाली हर पतंग के पीछे दर्जनों अनदेखे हाथों का कमाल है।
परंपरा, हुनर और जश्न
जैसे-जैसे 14 जनवरी नज़दीक आएगी, मांजे की ये चरखियां और रंग-बिरंगी पतंगें छतों के ऊपर उड़ेंगी, जो शहर को परंपरा, हुनर और जश्न की एक जीती-जागती तस्वीर में बदल देंगी। लेकिन अभी के लिए, शहर की आत्मा पुराने शहर के कारखानों में धागों, रंगों और अथक मेहनत करते हाथों के शांत, जटिल काम में बसी है।