सार
रोहतक के हसनगढ़ गांव में रहने वाले सिमरन के पिता श्रीनिवास का कहना है कि उनकी दो बेटियों के बाद जब सिमरन गर्भ में थी, तो परिवार का दबाव था कि कहीं तीसरी बेटी ना हो जाए इसलिए गर्भपात करवा दिया जाए। लेकिन उसी बेटी सिमरन ने आईआईटी परीक्षा में 99.47 प्रतिशत नंबर लाकर टॉप किया है।
रोहतक. हरियाणा के रोहतक जिले की बेटी सिमरन ने आईआईटी परीक्षा में 99.47 प्रतिशत नंबर लाकर यह साबित कर दिया है कि बेटियां अब किसी से कम नहीं है। इसके साथ ही हर क्षेत्र में बेटियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। जिससे यह साबित होता है कि सामाज में बदलाव आया है। जिसके कारण बेटियों को ऐसे इतिहास रचने का मौका मिल रहा है। इसी क्रम में सिमरन से जुड़ी एक हैरान करने वाली भी खबर सामने आई हैं। बेटी के इस सफलता से एक ओर जहां पूरा परिवार खुशी से फूले नहीं समा रहा है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट में सिमरन के पिता का दर्द सामने आया है।
कहीं तीसरी बार बेटी न हो इसलिए
रोहतक के हसनगढ़ गांव में रहने वाले सिमरन के पिता श्रीनिवास का कहना है कि उनकी दो बेटियों के बाद जब सिमरन गर्भ में थी, तो परिवार का दबाव था कि कहीं तीसरी बेटी ना हो जाए इसलिए गर्भपात करवा दिया जाए। लेकिन काफी समझा बुझाने के बाद किसी तरीके से परिवार वालों को मना लिया गया। निवास का कहना है कि उनकी बेटी पढ़ाई में अव्वल रही है। गांव के स्कूल में सिमरन ने दसवीं क्लास में भी मेरिट हासिल की थी और जिसके बाद जब हरियाणा सरकार की सुपर 100 स्कीम आई तो उसकी परीक्षा में भी उसने सफलता हासिल की और इसी वजह से वह जेईई की परीक्षा पास कर पाई है।
अब घर वालों ने जताई यह इच्छा
घर वालों की इच्छा है कि सिमरन अब बेटी देश के बड़े आईआईटी संस्थान से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करे। सिमरन फिलहाल रेवाड़ी में ही है और अभी तक घर वापस नहीं आई है। गौरतलब है कि जेईई की परीक्षा में सिमरन को 99.47 प्रतिशत मार्क्स मिला है। इसके लिए परिवार हरियाणा सरकार की सुपर 100 स्कीम का भी धन्यवाद कर रहा है, क्योंकि उसी स्कीम के तहत यह सिमरन ने रेवाड़ी से जेईई परीक्षा के लिए कोचिंग ली थी।
दिव्यांग है पिता
परिवार की ओर से माता-पिता पर जिस बेटी को गर्भ में मारने का दबाव था, आज उसी बेटी ने यह उपलब्धि हासिल कर परिवार वालों के निर्णय को गलत साबित कर दिया है। इन सब के बीच अहम बात यह है कि परीक्षा में टॉप करने वाली सिमरन के पिता दिव्यांग है। लेकिन अपनी बेटी की पढ़ाई में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पिता ने बेटी की पढ़ाई के लिए हर कोशिश की। जिसके बाद आज सिमरन ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है।