सार
पॉलिटिकल पार्टीज द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने या वादे करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जुलाई में मोदी के एक बयान के बाद से यह एक सियासी बहस का मुद्दा बना हुआ है। 'रेवड़ी कल्चर' पर खुद सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है।
नई दिल्ली. 'रेवड़ी कल्चर' पर बुधवार को फिर सुनवाई हुई। मंगलवार को करीब 45 मिनट बहस हुई थी। इस मामले पर खुद सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। इसमें जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त वादों के खिलाफ एक याचिका लगाई गई है।
रेवड़ी कल्चर पर CJI बोले- देखना होगा कि इससे देश का कितना नुकसान है
रेवड़ी कल्चर मामले में बुधवार को चीफ जस्टिस वाली बेंच ने तल्ख टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह देखना और समझना जरूरी है कि मुफ्त की योजनाओं से देश का कितना नुकसान हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें सामंजस्य बनाकर आगे बढ़ना होगा। इस मामले में रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर उसे इसमें दिक्कत क्या है? CJI ने पूछा कि केंद्र सरकार मुफ्त उपहारों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन क्यों नहीं करती है?
लंबी बहस का मुद्दा है
मंगलवार को हुई बहस के दौरान वकील विकास सिंह ने कहा कि मुफ्त के वादों से देश देवालिया होने के कगार पर है। हालांकि CJI रमना ने तर्क दिया कि मानो कोई वादा कर दूं कि चुनाव जीतने पर लोगों को सिंगापुर भेज दूंगा। तो चुनाव आयोग इस पर कैसे रोक लगा सकता है? सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल न्याय मित्र के तौर पर, जबकि अभिषेक मनु सिंघवी आम आदमी पार्टी और विकास सिंह याचिकाकर्ता के वकील के तौर पर पेश हुए थे। 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी भी राजनीतिक दलों को चुनावी वादे करने से नहीं रोका जा सकता है। हां, फ्री और असल कल्याणकारी योजनाओं में अंतर समझना जरूरी है।
PM मोदी के बयान के बाद मुद्दा गर्माया हुआ है
16 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करते हुए कहा था-"रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को बहुत सावधान रहना है। हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है।"
मोदी के इस बयान पर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है। AAP कार्यकओं ने मोदी के बयान के तत्काल बाद पूरे गुजरात में प्रदर्शन किया था। AAP ने 200 यूनिट तक बिजली बिल माफी जैसी मुफ्त या अत्यधिक सब्सिडी वाली सेवाओं के दिल्ली मॉडल को प्रदर्शित करके चुनावी अभियान गुजरात में अपने चुनावी अभियान को आधार बनाया है। इसलिए वो मोदी के बयान पर आपत्ति जता रही है।
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