सार
कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में जारी हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) पर कर्नाटक हाईकोर्ट में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला आने तक स्कूल-कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा- हम जल्द से जल्द फैसला सुनाएंगे, लेकिन इसके लिए शांति बनी रहना जरूरी है।
मुंबई। कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में जारी हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) पर कर्नाटक हाईकोर्ट में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला आने तक स्कूल-कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा- हम जल्द से जल्द फैसला सुनाएंगे, लेकिन इसके लिए शांति बनी रहना जरूरी है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे कि हिजाब पहनना मौलिक अधिकार है या नहीं। पूरी सुनवाई के दौरान उडुपी की छात्राओं की तरफ से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने अपनी दलीलें कोर्ट के सामने रखीं, जबकि कुंडापुर के स्टूडेंट्स की तरफ से सीनियर वकील देवदत्त कामत ने पैरवी की। जानते हैं वकीलों ने अपनी दलील में क्या कहा..
दलील नंबर 1 : यूनिफॉर्म के नियम का उल्लंघन करने पर दंड का कोई प्रावधान नहीं
वकील संजय हेगड़े (Sanjay Hegde) ने अपनी दलील में कहा कि यह केवल धार्मिक आस्था का मामला नहीं है, बल्कि इससे लड़कियों की शिक्षा का सवाल भी जुड़ा हुआ है। यूनिफॉर्म के नियम का उल्लंघन करने पर दंड का कोई प्रावधान नहीं है। कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में जो भी दंड की व्यवस्था की गई है, वह ज्यादातर प्रबंधन से जुड़े मामलों के लिए है।
(चीफ जस्टिस : हमने आपकी बात समझ ली है कि कर्नाटक एजुकेशन एक्ट में इसको लेकर प्रावधान नहीं है।)
दलील नंबर 2 : पहले सिर्फ स्कूलों में होती थी यूनिफॉर्म, कॉलेज में नहीं
संजय हेगड़े (Sanjay Hegde) ने सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा- 1983 के कर्नाटक एजुकेशन ऐक्ट में ड्रेस या यूनिफॉर्म के बारे में कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं। अपने यूनिवर्सिटी के दिनों को याद करते हुए हेगड़े ने कहा कि तब भी कोई यूनिफॉर्म नहीं होती थी। उन्होंने दलील में कहा कि पहले के दिनों में यूनिफॉर्म सिर्फ स्कूल में होती थी। कॉलेजों के लिए ड्रेस बहुत बाद में आई।
दलील नंबर 3 : पुत्तास्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रिफरेंस दिया
इसके बाद वकील हेगड़े (Sanjay Hegde) ने प्राइवेसी को लेकर पुत्तास्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रेफरेंस दिया। इसके साथ ही उन्होंने केरल हाईकोर्ट के उस जजमेंट का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि हिजाब एक जरूरी धार्मिक प्रतीक है।
दलील नंबर 4 : सरकारी आदेश के आधार पर अपना बचाव कर रही राज्य सरकार
दूसरे वकील देवदत्त कामत ने कहा कि राज्य एक सरकारी आदेश के आधार पर अपना बचाव कर रहा है। उन्होंने दलील दी कि संजय हेगड़े द्वारा याचिका दाखिल करने के बाद यह आदेश जारी हुआ है। कामत ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि स्टूडेंट्स कक्षाओं से बाहर हैं। इसलिए अंतरिम व्यवस्था देने के साथ ही इस मामले की सुनवाई करें।
दलील नंबर 5 : याचिका लगाने वाली लड़कियों को राहत दे कोर्ट
वहीं, वकील हेगड़े ने कहा कि हिजाब मामले में कोर्ट को अंतरिम आदेश देना चाहिए, ताकि याचिका लगाने वाली लड़कियों को राहत मिल सके और वे इस सेशन में बचे हुई 3 महीनो के दौरान स्टूडेंट्स कॉलेज अटेंड कर सकें।
आखिर क्या है पूरा मामला :
हिजाब विवाद (Hijab Controversy) की शुरुआत कर्नाटक के उडुपी में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर शुरू हुई। एक स्कूल की 6 लड़कियों ने आरोप लगाया कि हिजाब (Hijab) पहनने के चलते उन्हें क्लास में बैठने की परमिशन नहीं दी गई। कॉलेज प्रशासन ने उनसे कहा कि लड़कियों को स्कूल यूनिफॉर्म में ही आना होगा। इसके बाद ये विवाद कई जिलों में फैल गया। कुछ स्टूडेंट्स ने हिजाब के विरोध में भगवा स्कार्फ बांधकर स्कूल-कॉलेज जाना शुरू कर दिया। इसके बाद एक धड़ा हिजाब समर्थकों की तरफ आ गया तो दूसरा हिजाब विरोधियों की ओर। इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई है, जिस पर आज सुनवाई हुई। हालांकि, आगे की सुनवाई अब 14 फरवरी को दोपहर ढाई बजे से होगी।
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