12:33 PM (IST) Mar 15
कुछ अनदेखे हाथ अशांति और असामंजस्य पैदा कर रहे : हाईकोर्ट

हिजाब को लेकर दिए अपने आदेश में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- हम इस बात से निराश हैं कि अचानक, वह भी शैक्षणिक अवधि के बीच में ही हिजाब का मुद्दा कैसे पैदा हो गया। जिस तरह से हिजाब मामला सामने आया, वह इस तर्क की गुंजाइश देता है कि कुछ 'अनदेखे हाथ' सामाजिक अशांति और असामंजस्य पैदा करने के लिए काम कर रहे हैं। 

11:34 AM (IST) Mar 15
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी की शांति बनाए रखने की अपील

High court के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा- मैं कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। मेरी सभी से अपील है कि राज्य और देश को आगे बढ़ना है, सभी को HC के आदेश को मानकर शांति बनाए रखनी चाहिए। छात्रों का मूल कार्य पढ़ाई करना है। इसलिए इन सब को छोड़कर उन्हें पढ़ना चाहिए और एक होना चाहिए। 

11:32 AM (IST) Mar 15
फैसले में एक बार फिर सबरीमाला मामले को दोहराया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने के लिए सबरीमाला (मामले) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दोहराया। इसमें कहा गया है कि आपको यह बताना होगा कि जिस प्रथा को आप संरक्षित करना चाहते हैं वह धर्म के लिए आवश्यक है।

11:29 AM (IST) Mar 15
व्यक्तिगत पसंद से ज्यादा प्रबल होता है अनुशासन : महाधिवक्ता

हाईकोर्ट द्वारा हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के आदेश के बाद मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि अनुशासन, व्यक्तिगत पसंद से ज्यादा प्रबल होता है। हाईकोर्ट का फैसला संविधान के अनुच्छेद 25 की व्याख्या में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है। 

11:26 AM (IST) Mar 15
सरकार के पास आदेश जारी करने की शक्ति : हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि एक संस्थान में छात्रों के लिए यूनिफॉर्म का निर्धारण उचित प्रतिबंधों की श्रेणी में आता है। सरकार के पास इस संबंध में सरकारी आदेश पारित करने की शक्ति है। सरकारी आदेश को नहीं मानने का कोई कारण नहीं है। 

11:25 AM (IST) Mar 15
हिजाब को लेकर दायर सभी याचिकाएं खारिज

मंगलवार को सुनवाई में कर्नाटक HC ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामिक आस्था के तहत एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने राज्य सरकार द्वारा जारी ड्रेस कोड से संबंधित 5 फरवरी 2022 के सरकारी आदेश को भी बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को हिजाब मामले से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और छात्रों को वर्दी पर आपत्ति नहीं हो सकती।

11:22 AM (IST) Mar 15
अब सुप्रीम कोर्ट जा सकता है मामला

इस ममले की सुनवाई 10 फरवरी को शुरू हुई थी। इसमें छात्राओं के वकीलों ने मांग रखी थी कि जब तक कोर्ट हिजाब पर फैसला नहीं सुना देता तब तक छात्राओं को स्कूल-काॅलेजों में हिजाब पहनकर आने की अनुमति दी जाए। हालांकि, कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए फैसला आने तक किसी भी तरह के धार्मिक परिधान पहनकर आने पर रोक लगा दी थी। अगले दिन इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करने को कहा। माना जा रहा है कि छात्राओं के वकील मामले को SC में चुनौती दे सकते हैं।

10:52 AM (IST) Mar 15
सरकार ने बताया, हमारे पास आदेश जारी करने का अधिकार

दरअसल, सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा गया था कि क्या इस्लाम के तहत हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा है? क्या इस्लाम के तहत हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा है? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता का अधिकार? क्या 5 फरवरी का जीओ बिना दिमाग लगाए और स्पष्ट रूप से मनमाना जारी किया गया था? इस पर सरकार ने बताया है कि हिजाब धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। और हमारे पास आदेश जारी करने का अधिकार है। 

10:49 AM (IST) Mar 15
सरकार का जवाब, हिजाब धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं, इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए

हिजाब मामले में सरकार की तरफ से कहा गया कि मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनना इस्लाम के तहत आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। स्कूल यूनिफॉर्म लागू किया जाना केवल एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्रों को आपत्ति नहीं हो सकती है। सरकार के पास आदेश जारी करने का अधिकार है।