सार
सोनदास मुसलमानों की दबंगई से परेशान थे। भारत में तीर्थ यात्रा के लिए धार्मिक वीजा की कोशिश की। साल 2012 में जब उन्हें वीजा मिल गया तो पाकिस्तान में अपना घर बार छोड़कर परिवार समेत भागकर दिल्ली आ गए।
नई दिल्ली. पाकिस्तान से भारत आकर रहने वाले हिंदू शरणार्थियों का दर्द एक जैसा है। उनके भागने की वजह और तरीका भी एक जैसा ही है। लगभग सभी धार्मिक आजादी पर हमले, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और धार्मिक भेदभाव की वजह से पाकिस्तान से भागकर भारत आ रहे हैं। Asianet News hindi से खास बातचीत में सात साल पहले भारत आए सोनदास ने कहा कि हिंदुओं के पास वहां से भागने के अलावा कोई चारा भी नहीं है।
सोनदास अपने परिवार के मुखिया हैं। उनके घर में कुल 12 सदस्य हैं। सिंध हैदराबाद में ही घर था। लेकिन आए दिन कट्टरपंथी मुसलमानों की दबंगई से परेशान थे। भारत में तीर्थ यात्रा के लिए धार्मिक वीजा की कोशिश की। साल 2012 में जब उन्हें वीजा मिल गया तो पाकिस्तान में अपना घर बार छोड़कर परिवार समेत भागकर दिल्ली आ गए। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में हिंदू शरणार्थियों की क्या हालत है।
अपने देश की मिट्टी वापस मिल गई
नागरिकता कानून में संशोधन के बाद से शरणार्थियों में खुशी की लहर है। सोनदास ने कहा, "यहां दिल्ली और आस-पास मजदूरी करके परिवार चलाते हैं। भारत आने के बाद भी जिंदगी के तमाम संघर्ष अब भी जारी हैं, मगर यहां उन्हें भारत की मिट्टी मिल गई है। धार्मिक आजादी है। उनके बच्चे भविष्य का सपना बुन सकते हैं। नागरिकता कानून के बाद पाकिस्तान में सालों झेले गए दर्द में कुछ कमी होगी।"
पाकिस्तान में हिंदू बेटियों के रेप आम हैं
दिल्ली के मजनू का टीला में शरणार्थियों के साथ काम करने वाले डॉ. शिल्पी तिवारी ने बताया, "हिंदू बच्चियों को उठाकर रेप करना आम घटना हो गई है। हिंदू जो ज्यादातर दलित जातियों से हैं, उनसे आज भी बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जाता है।" उन्होंने यह भी कहा, वहां पिछले 7-8 साल में हिंदुओं का धार्मिक सामाजिक शोषण काफी बढ़ गया है। उत्पीड़न बढ़ने की वजह से पलायन की संख्या भी बढ़ रही है। डॉ. शिल्पी विहिप के संगठन "हिंदू इमरजेंसी एड एंड रिलीफ टीम" के लिए काम करते हैं।
क्या है संशोधित नागरिकता कानून?
संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act 2019) के बाद पड़ोसी देशों से भागकर भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। ये नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और फारसी धर्म के लोगों को दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो एक से छह साल तक भारत में रहे हों। 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। अन्य धर्म के लोगों को नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी है।