सार
जम्मू-कश्मीर में बेखौफ हो चुके आतंकवादियों, कश्मीरी पंडितों व प्रवासी श्रमिकों की हत्या से सूबे में दहशत के बीच सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। किश्तवाड़ में सक्रिय हिजबुल का एक आतंकी पकड़ा गया है।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) और प्रवासी श्रमिकों (Migrants Labourer) की हो रही टारगेटेड किलिंग्स (Targetted Killings in J& K) के बीच सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। छह साल से पकड़ से दूर हिजबुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के एक आतंकवादी को सुरक्षा बलों ने अरेस्ट किया है। एक अधिकारी ने बताया कि हिजबुल का आतंकवादी जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले (Kishtwar district) में सक्रिय था और फिर से जिले को आतंकवाद की आग में झोंकने की साजिश रच रहा था।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों पर लगाम कसने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। किश्तवाड़ जिले में जेके पुलिस, राष्ट्रीय राइफल्स और सीआरपीएफ भी लगातार अभियान चला रहा है। इसी अभियान के दौरान हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आतंकी नागसेनी तहसील के राशगवारी का रहने वाला है।
2016 में आतंकी गतिविधियों में हो गया था लिप्त
जम्मू-कश्मीर के एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि यह गिरफ्तारी हिजबुल मुजाहिदीन के लिए एक बड़ा झटका है। कथित आतंकी जिले में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एक बार फिर सक्रिय था। अधिकारी ने कहा कि वह 2016 में आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया था। पकड़ा गया कथित आतंकी, युवाओं को गुमराह कर आतंक के रास्ते पर ले जाने के लिए टेररिस्ट ग्रुप में उनकी भर्ती कराता था। सुरक्षा बलों का दावा है कि पकड़े गए हिजबुल आतंकी से कई बड़े टारगेट का जवाब मिल सकेगा और तमाम नेटवर्क को ध्वस्त करने में कामयाबी हासिल होगी।
मई में कई हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडितों का पलायन बढ़ा
जम्मू-कश्मीर में पिछले कई महीनों से कश्मीरी पंडितों और प्रवासी श्रमिकों को टारगेट किया जा रहा है। आतंकवादी पूरी तरह बेखौफ होकर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो केवल मई महीने में नौ नागरिकों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी। ये टारगेट किलिंग केवल कश्मीरी पंडितों व प्रवासी श्रमिकों की हुई है। दहशतगर्दों की वजह से घाटी में खौफ की स्थिति है और कश्मीरी पंडितों का पलायन तेज हो चुका है। बताया जा रहा है कि 90 के दशक के बाद कश्मीरी पंडितों का यह सबसे बड़ा पलायन है।