Homebuyers big relief: Supreme Court ने CBI को नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में होमबायर्स से जुड़े 22 मामलों में FIR दर्ज करने की मंजूरी दी है। इन मामलों में बैंक-बिल्डर की सांठगांठ से EMI धोखाधड़ी के आरोप हैं। जानें पूरी इनसाइड स्टोरी।
CBI FIR on Builders: दिल्ली-एनसीआर में फ्लैट का पैसा देखकर काबिज होने का सपना देख रहे खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को Central Bureau of Investigation (CBI) को दिल्ली-एनसीआर में बिल्डर-बैंक गठजोड़ (Bank Builder Nexus) से जुड़ी 22 मामलों की FIR दर्ज करने की अनुमति दे दी। ये वो मामले हैं जिनमें हजारों फ्लैट खरीदार (Homebuyers) को Subvention Scheme के नाम पर फंसाया गया, EMI वसूली की गई लेकिन फ्लैट नहीं दिए गए।
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लोन बढ़ रहा लेकिन फ्लैट नहीं मिला
CBI अब उन प्रमुख बिल्डरों (Top Builders in NCR) के खिलाफ केस दर्ज करेगी जिन्होंने बैंकों के साथ मिलकर नियमों का उल्लंघन करते हुए EMI फ्रॉड को अंजाम दिया। रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी प्रोजेक्ट्स नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद जैसे इलाकों में फैले हुए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर्स के खिलाफ केस के लिए दिया आदेश
CBI की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस सूर्यकांत और न कोटेश्वर सिंह की बेंच को बताया कि कई शहरों में जांच अभी भी जारी है और उन्हें थोड़ा और समय चाहिए। कोर्ट ने CBI के प्रयासों पर संतोष जताते हुए 6 हफ्ते की और मोहलत दी है।
क्या है Subvention Plan स्कीम?
सबवेंसन स्कीम के तहत अगर कोई खरीदार किसी प्रोजेक्ट में अपना फ्लैट बुक करता है या लेना चाहता है तो वह उसके लिए लोन ले सकता है। इस स्कीम के तहत बैंक सीधे बिल्डर के अकाउंट में लोन अमाउंट ट्रांसफर करते हैं और EMI बिल्डर तब तक चुकाता है जब तक फ्लैट होमबायर को हैंडओवर न हो जाए। लेकिन सच्चाई ये है कि बिल्डर लोन अमाउंट पाने के बाद EMI नहीं देते या कुछ दिन बाद देना बंद कर देते हैं। उधर, खरीदार को फ्लैट हैंडओवर तो होता नहीं, उल्टे बैंक उनसे लोन चुकाने के लिए दबाव बनाने लगते हैं।
पिछले साल मिला था राहत आदेश
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि होमबायर्स से जबरदस्ती EMI नहीं वसूली जाएगी और चेक बाउंस जैसे मामलों में खरीदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन वकीलों ने कोर्ट को बताया कि गुरुग्राम की निचली अदालतें अब भी खरीदारों के खिलाफ कठोर आदेश दे रही हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम के डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज को निर्देश दिया है कि वे इस मुद्दे की जांच कर 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट दाखिल करें।
