सार

हवा का जहरील होना (Air Pollution) हेल्थ पर बुरा असर डाल रहा है। प्रदूषित हवा किसी को भी बीमार हो सकती है। कोरोना संक्रमण भी हवा से फैलने वाला रोग है। खैर, अब एक ऐसा फिल्टर ईजाद किया गया है, जो हवा से फैलने वाले कोरोना और अन्य कई बीमारियों को रोक सकेगा।

बेंगलुरु(Bangalore). वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। यह सिर्फ दिल्ली-मुंबई की हेल्थ प्राब्लम नहीं है, बांग्लादेश का ढाका, पाकिस्तान का कराची और लाहौर के अलावा दुनिया के तमाम देश वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं। हवा का जहरील होना (Air Pollution) हेल्थ पर बुरा असर डाल रहा है। प्रदूषित हवा किसी को भी बीमार हो सकती है। कोरोना संक्रमण भी हवा से फैलने वाला रोग है। खैर, अब एक ऐसा फिल्टर ईजाद किया गया है, जो हवा से फैलने वाले कोरोना और अन्य कई बीमारियों को रोक सकेगा। यानी कीटाणुओं को पनपने नहीं देगा। जानिए एक दिलचस्प खोज के बारे में...

5-10 साल उम्र कम कर देती है दूषित हवा, पढ़िए 10 बड़े पाइंट्स
1. दूषित वायु के चलते  एयर प्यूरीफायर (Air Purifier) यानी एयर क्लीनर की डिमांड बढ़ गई है। इसका इस्तेमाल लोग घर या आसपास की दूषित हवा को शुद्ध करने के लिए कर रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या सभी एयर प्यूरीफायर ठीक से काम करते हैं? दरअसल, लगतार इस्तेमाल किए जाने से फिल्टर जर्म्स को मारने में नाकाम साबित होने लगते हैं। यही नहीं, वे फिल्टर कीटाणुओं का प्रजनन स्थल(breeding ground) बन जाते हैं। इस समस्या का बेहतर उपाय ढूंढ़ निकला है बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान ने। 

2. पहले आपको ये बताए देते हैं। सिगाको विश्वविद्यालय( University of Cigaco) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अशुद्ध हवा(Impure air) हमारे जीवन को कम कर सकती है।

3. रिसर्च बताते हैं कि दूषित हवा के चलते भारतीय अपने जीवन के 5-10 साल खो देते हैं। यानी उनकी इतनी उम्र कम हो जाती है। वजह; हवा से होने वाले दूषित पदार्थों से सांस की बीमारियां(respiratory diseases) होती हैं, जो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
 
4.भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु (Indian Institute of Science, Bengaluru-IISc), बैंगलोर में प्रो सूर्यसारथी बोस और प्रो कौशिक चटर्जी की लीडरशिप में एक रिसर्च टीम ने कीटाणुओं को नष्ट करने वाले एयर फिल्टर(germ-destroying air filters) विकसित करने में कामयाबी हासिल की है। जो आमतौर पर ग्रीन टी में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स और पॉलीकेशनिक पॉलिमर( polyphenols and polycationic polymers) जैसे तत्व(ingredients) का उपयोग करके कीटाणुओं को निष्क्रिय कर सकते हैं। ये 'ग्रीन' तत्व साइट-स्पेसिफिक बाइंडिंग के माध्यम से रोगाणुओं की चेन तोड़ देते हैं। यानी उन्हें पनपने नहीं देते हैं।

5. मतलब कि यह नया विकसित एयर फिल्टर आमतौर पर ग्रीन टी में पाए जाने वाले तत्वों का उपयोग करके कीटाणुओं को 'सेल्फ-क्लीनिंग' कर सिस्टम से बाहर कर सकता है। उन्हें नष्ट कर सकता है।

6. चैलेंजिंग कोविड-19 महामारी के दौरान विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (Science & Engineering Research Board-SERB) के स्पेशल ग्रांट और एसईआरबी-टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन अवार्ड्स (SERB-TETRA) फंड्स ने इस रिसर्च को सपोर्ट किया है। इसके पेंटेंट की प्रॉसेस भी शुरू कर दी गई है।

7. दरअसल निरंतर उपयोग से एयर फिल्टर कैप्चर कीटाणुओं के लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं। इन कीटाणुओं की वृद्धि फिल्टर के छिद्रों को बंद(clog the pores) कर देती है। यानी इससे फिल्टर की लाइफ कम हो जाती है। वहीं, इन कीटाणु का फिल्टर में बने रहना आसपास के लोगों को संक्रमित कर सकता है।

8. मान्यता प्राप्त एनएबीएल लैब में इस रोगाणुरोधी एयर फिल्टर(Novel antimicrobial air filters)  की टेस्टिंग की गई। इसे 99.24% दक्षता( efficiency) के साथ SARS-CoV-2 (डेल्टा वैरिएंट) को निष्क्रिय करने के लिए कारगर पाया गया। इस तकनीक को AIRTH को ट्रांसफर किया गया था। यह एक स्टार्टअप है, जो इस फिल्टर के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए मौजूदा जर्म-ग्रॉइंग एयर फिल्टर को जर्म-डिस्ट्रॉइंग एयर फिल्टर से रिप्लेस कर रहा है।

9. चूंकि यह इनोवेशन एंटीमाइक्रोबियल फिल्टर विकसित करने का वादा करता है, जो वायु-जनित रोगजनकों(air-borne pathogens) के कारण होने वाले स्थानिक रोगों को रोक सकता है, इसे 2022 में एक पेटेंट प्रदान किया गया था।

10. ये एयर कंडीशनर्स (Acs), सेंट्रल डक्ट और एयर प्यूरीफायर में ये नए एंटीमाइक्रोबियल फिल्टर वायु प्रदूषण के खिलाफ हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और कोरोनावायरस जैसे वायु जनित रोगजनकों के प्रसार को कम कर सकते हैं।

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