पिछले कुछ सालों से आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की लगातार सर्चिंग के चलते कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गई है। पिछले 10 सालों के दरमियान घाटी में सबसे कम यानी सिर्फ 217 आतंकवादी चिह्नित किए गए हैं। यह जानकारी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कही।


श्रीनगर. कश्मीर घाटी में 29 सालों के दौरान करीब 46000 लोगों की जान गई। इसमें 24000 आतंकवादी भी शामिल हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की लगातार सर्चिंग के चलते कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गई है। पिछले 10 सालों के दरमियान घाटी में सबसे कम यानी सिर्फ 217 आतंकवादी चिह्नित किए गए हैं। यह जानकारी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कही।

सोशल मीडिया पर नई भर्ती की कोशिशें
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने बताया कि पाकिस्तान समर्थक आतंकवादी सुरक्षाबलों और नागरिकों को निशाना बनाते हैं। जब सुरक्षाबल उनका जवाब देते हैं, तो वे अफवाहें फैलाकर छवि खराब करने की कोशिश करते हैं। आतंकवादी संगठन सोशल मीडिया के जरिये नई भर्तियों की कोशिश करते हैं। वे गलत बातें फैलाने में भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।

बताया गया कि 2018 की तुलना में 2020 में आतंकवादियों की भर्ती पर काफी हद तक अंकुश लगाया गया। मौजूदा समय में घाटी में 217 आतंकवादी ही सक्रिय हैं। यह संख्या पिछले 10 सालों में सबसे कम है।

सुरंगों और ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने बताया कि पाकिस्तान से ड्रोन और सुरंग के जरिये आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियार और ड्रग्स भेजे जाते हैं, यह एक बड़ी चुनौती है। इससे निपटने भारतीय सेना आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि हर 20-25 तलाश अभियान के बीच एक में आतंकवादियों से मुठभेड़ होती है। सुरक्षाबलों का प्रयास होता है कि इससे आम नागरिकों को नुकसान न हो। वहीं, स्थानीय संस्कृति और धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान भी बना रहे।

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