सार
बारिश के मौसम में बिजली गिरने की घटनाएं आम हैं। इस साल कहीं-कहीं कुछ अधिक ही बिजली गिरने की घटनाएं सामने आई हैं। आकाश से बिजली गिरना प्राकृतिक घटना है। हर सेकेंड धरती पर 50-100 बार बिजली गिरती है। इससे कैसे बचें और ये कहां गिरती है, जानिए कुछ खास बातें..
मौसम डेस्क. इस समय भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून(south west monsoon) के चलते जबर्दस्त बारिश का दौर चल रहा है। लेकिन इस बार आकाशीय बिजली गिरने(Lightning) की अधिक घटनाएं सामने आई हैं। इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान चली गई। मौसम विभाग के अलावा सरकारें और कलेक्टर लगातार एडवाइजरी जारी कर रहे हैं। कई जगहों पर बिजली गिरने के खतरे को देखते हुए स्कूलों में छुट़्टी तक करनी पड़ीं। जैसे-मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्कूलों में छुट्टी करनी पड़ी है। आकाशीय बिजली को लेकर ये जानकारी आपके बहुत काम की है कि बिजली आखिर कहां गिरती है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
दोपहर और शाम 6 बजे सबसे अधिक गिरती बिजली
मध्य प्रदेश सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने मौसम विभाग और एक्सपर्ट की राय के बाद एक एडवायजरी जारी की है। यह दिशा-निर्देश हर जगह के लिए एक से हो सकते हैं। जानिए कुछ पॉइंट...
दोपहर और शाम 6 बजे के बीच आकाशीय बिजली/वज्रपात की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं।
यह जरूरी नहीं कि बारिश के दौरान ही बिजली गिरे। बिजली बारिश के दौरान 10 मील दूर तक गिर सकती है। तूफान या उसके बाद भी बिजली गिर सकती है।
रबर शोल के जूते(rubber shoal) अथवा टायर से बचाव नहीं हो सकता है।
जब आपको लगे कि बिजली कड़क रही है, तो इलेक्ट्रिसिटी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को न छुएं। इनका पावर बंद कर दें, जिससे मुख्य सप्लाई से बिजली सप्लाई नहीं हो सके।
अपने कम्प्यूटर सिस्टम, वॉशर, ड्रायर, स्ट्रोव या इलेक्ट्रिकल आउटलेट, इलेक्ट्रिकल सिस्टम, रेडियो और टेलीविजन आदि का इस्तेमाल करने से बचें।
घर की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, क्योंकि बिजली दीवारों फर्श में किसी भी धातु के तारों और पाइप के माध्यम से अंदर आ सकती है। घर में बिजली की अर्थिंग प्रॉपर हो, इसका ध्यान रखें सुनिश्चित कर ले।
वाटर सप्लाई वाले धातु के पाइपों के जरिये भी आकाशीय बिजली घर में आ सकता है। इसलिए बिजली गिरने की आशंका को देखते हुए इससे दूर रहें। कांक्रीट के फर्श पर न लेटें।
जब बादल गरज रहे हों, तो कॉर्डलेस फोन के इस्तेमाल से बचें। हालांकि तूफान के दौरान कॉर्डलेस यो सेल्यूलर फोन का यूज कर सकते हैं।
खाली पैर फर्श या जमीन पर न खड़े रहें। घर के पोर्च से दूर रहें। नहाने, बर्तन धोने या पानी के अन्य कामों से बचें। क्योंकि बिजली पाइप लाइन के जरिये भी एंट्री कर सकती है।
धातु का मचान, धातु के उपकरण, पानी के पाइप सहित बिजली का संचालन करने वालों सामग्री या सतहों को न छुए।
ऊंचाई वाली चीजों जैसे-बिजली के खंभे, टेलीफोन के खंभे, ऊंचा पेड, अन्य लोहे के खंभे, सीढ़ी, पैड और बड़े उपकरण जैसे-बुलडोजर, केन और ट्रैक्टर जैसी चीजों का इस्तेमाल न करें।
ऊंचाई वाली जगहों जैसे-पहाड़ी या टेकरी पर न जाएं। बिजली ऐसे ही स्थलों पर गिरती है।
अगर आप माइन जैसे विस्फोटक जगहों पर हैं, तो तो वहां से तुरंत सुरक्षित चले जाएं।
साइकिल, टू-थ्री या फोर; जो भी व्हीकल्स हो, उससे उतरकर दूर चले जाएं। मेटल यानी धातु वाली सीटों पर बैठने से बचें।
बिजली पानी से आकर्षित होती है, इसलिए तालाब, नदी, कुएं, नाव आदि से दूर रहें।
अगर आप सड़क पर हैं और तुरंत किसी सुरक्षित जगह पर नहीं जा सकते हैं, तो कोई ऐसी गाड़ी, जिसकी छत मजबूत हो; उसकी ओट ले लें।
अगर आप ग्रुप में खड़े हैं, तो तुरंत तितर-बितर हो जाएं।
जानिए बिजली गिरने से जुड़े अन्य फैक्ट्स
अगर आपको बिजली चमकने के 10 सेकंड के बाद गर्जना सुनाई देती है, तो इसका मतलब है कि वो आपसे 3 किमी दूर है। इसलिए तुरंत सुरक्षित जगह ढूंढ़ लें। गर्जना सुनने के बाद कम से कम 30 मिनट तक सुरक्षित जगह पर रहें।
डायरेक्ट स्ट्राइक: यह पीड़ित को सीधे स्ट्राइक कर सकता है। यह स्थिति बहुत ही घातक है।
संपर्क चोट: यह तब होता है, जब बिजली किसी वस्तु कार या धातु के खंभे से टकराती है, जिसे किसी ने छू रखा हो। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो सकता है।
साइड फ्लैश: यह तब होता है, जब बिजली छिटक जाती है या किसी वस्तु से टकरा जाती है। जैसे कि पीड़ित व्यक्ति पर, पेड़-खंभा आदि पर गिर जाए।
ग्राउंड करंट: यह तब होता है, जब बिजली पीड़ित के पास जमीन से टकराती है और ग्राउंड करंट जमीन से होकर पीड़ित को स्ट्राइक करता है।
स्ट्रीमरः जब बिजली / वज्रपात हवा को चार्ज कर देता है, तो ऊर्जा प्रभाव या स्ट्रीमर जमीन के पास की वस्तुओं से ऊपर की ओर आ सकते हैं। कभी-कभी ये स्ट्रीमर लोगों के जरिये ऊपर की ओर जाते हैं। इससे पीड़ित को नुकसान होता है।
धमाके से चोटः बिजली के विस्फोट के प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति उस स्थल से दूर तक फिंक सकता है। इससे भी वो घायल हो सकता है।
बता दें कि बिजली जिस रास्ते से होकर जमीन पर गिरती है वहां कि हवा 15 हजार डिग्री फारेनहाइट तक गर्म हो जाती है। सूरज की सतह की गर्मी 10 हजार फारेनहाइट है। इस तरह बिजली सूरज की सतह से भी 5 हजार फारेनहाइट अधिक गर्म होती है। इसमें लाखों-करोड़ों वोल्ट की ऊर्जा होती है। यह धरती पर 3 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गिरती है।