सार

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा तनाव पर 5 महीनों से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर टी-90 और टी-70 टैंक तैनात कर दिए हैं। सेना द्वारा युद्ध जैसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चुमार-डेमचोक एरिया में ये टैंक बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं। 

लेह. पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा तनाव पर 5 महीनों से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर टी-90 और टी-70 टैंक तैनात कर दिए हैं। सेना द्वारा युद्ध जैसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चुमार-डेमचोक एरिया में ये टैंक बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं। इन टैंकों की तैनाती किए जाने पर इनके कमांडर्स का मानना है कि भारतीय सेना के टी-90 टैंकों के सामने चीन के हल्के टैंक ज्यादा समय नहीं टिक पाएंगे।

हर परिस्थिति और इलाके में ऑपरेट कर सकते हैं टी-90 टैंक

एक टैंक कमांडर ने कहा कि टी-90, टी-72 और बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल 50 डिग्री टेम्परेचर से लेकर माइनस 40 डिग्री टेम्परेचर में ऑपरेट कर सकते हैं। ये दुनिया के किसी भी इलाके और परिस्थिति में तैनात किये में सक्षम हैं। सेना के एक कमांडर के मुताबिक,  ये रशिया के बने टैंक हैं। रशिया में तापमान बेहद कम रहता है और ऐसे में ये टैंक आसानी से इस टेम्परेचर में ऑपरेट कर सकते हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक, चीन ने अपने क्षेत्र में टैंक, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल तैनात किए हैं। इसके साथ ही उसने लॉन्ग रेंज आर्टिलरी और जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम भी लगाया गया है।

सर्दियों में टैंकों की मेंटेनेंस बड़ी चुनौती

इससे पहले न्यूज एजेंसी एएनआई को मेजर जनरल अरविंद कपूर ने बताया था कि सर्दियों में यहां रात के वक्त टेम्परेचर माइनस 35 डिग्री तक पहुंच जाता है। इसी टेम्परेचर के कारण तेज बर्फीली हवाएं भी चलती हैं। सेना के लिए इस इलाके में ऊंचाई ज्यादा होने के कारण टैंकों, बड़ी बंदूकों और युद्धक वाहनों का मेंटेनेंस बहुत बड़ी चुनौती रहता है। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय सेना की अकेली या दुनिया की अकेली टुकड़ी है, जो ऐसे हालात में मोर्चा संभालने के लिए तैनात की गई है। अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में जवानों और हथियारों की मेंटेनेंस और तैयारी को लेकर पूरी व्यवस्थाएं कर ली गईं हैं।