सार

भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की 22 वीं बैठक शनिवार को दिल्ली में हुई। बैठक में कहा गया कि सीमा क्षेत्रों में शांति स्थापित करना अहम है। दोनों देशों को इसके लिए काम करना चाहिए। साथ ही बैठक में कहा गया कि रिश्तों और देश के विकास के लिए दोनों देशों नया नजरिया पेश किया है। 

नई दिल्ली. भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की 22 वीं बैठक शनिवार को दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक में दोनों देशों ने सीमा से जुड़े मुद्दों का उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए प्रयास को तेज करने का संकल्प लिया। दोनों देशों के बीच आयोजित बैठक में भारत का पक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने रखा तो वहीं चीन के विदेश मामलों के मंत्री वांग यी ने चीन का पक्ष रखा। 

पेश किया है नया नजारिया 

मीटिंग के बाद अजित डोभाल ने कहा कि दोनों देश बातचीत के आधार पर सीमा से जुड़ें सवालों के हल निकालने की कोशिश करें। द्विपक्षीय रिश्तों के विकास और सीमा विवाद के निपटारे के लिए दोनों देशों के नेताओं ने एक नया विजन और रणनीतिक नजरिया पेश किया है। अजित डोभाल ने आगे कहा कि जरूरत है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौतों और आपसी सहमति को पूरी तरह से लागू किया जाए। विशेष प्रतिनिधियों की इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत रचनात्मक रही। इस दौरान द्विपक्षीय विकास साझेदारी को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण 

विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस बात पर आम सहमति बनी कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संवेदनशीलता और सरोकारों का सम्मान करना चाहिए। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। चीन के विदेश मंत्री यांग वी ने कहा कि यह मीटिंग दोनों देशों के बीच सीमा के मुद्दे पर चर्चा का चैनल भर नहीं है बल्कि यह एक महत्वपूर्ण प्लैटफॉर्म है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद भी हो सके। दोनों ही देश तेजी से उभर रहे मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों ही देश विकास और बदलाव के ऐतिहासिक मोड़ पर हैं, ऐसे में दोनों ही देशों की रुचि भी लगभग एक जैसी है।