सार

भारत का पहलेा न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग शिप INS Dhruv आज लॉन्च होगा। भारत अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा।

नई दिल्ली. भारत आज अपना सैटलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग शिप आईएनएस ध्रुव (INS Dhruv) लॉन्च कर रहा है। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जो इस तकनीक से सक्षम हैं। INS Dhruv भारत का पहला नौसैनिक पोत है, जो लंबी दूरी पर परमाणु मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है। इससे भारत-प्रशांत क्षेत्र में परमाणु बैलिस्टिक युद्ध के बढ़ते खतरे को भी टाला जा सकेगा।

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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा करेगा
इसकी लॉन्चिंग NSA अजित डोभाल करेंगे। लॉन्चिंग प्रोग्राम में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और NTRO के अध्यक्ष अनिल दासमाना के अलावा DRDO और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस शिप को भारतीय नौसेना के कर्मी सामरिक बल कमान (SFC) के साथ संचालित करेंगे। इसकी लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम हो रही है।  यह शिप हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस साल भारत चार और जहाजों को लॉन्च कर सकता है।

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दुश्मनों की पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम
इसकी तैनाती विशाखापट्टनम से हो सकती है। इसका निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड ने किया है। यह दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम है। इसके साथ ही  भारत ऐसा करने वाला अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे कुछ देशों में शामिल हो जाएगा। 

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आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण
यह शिप आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। 15,000 टन का यह समुद्री निगरानी जहाज सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए सरणी रडार से लैस है। इसकी कीमत 730 करोड़ रुपए आंकी गई है। जहाज को मूल रूप से इस साल मार्च में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना था, लेकिन कोविड -19 महामारी के प्रकोप के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। 2018 से यह जहाज कई परीक्षणों और समुद्री परीक्षणों से गुजरा।

लंबी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइलों पर रख सकेगा नजर
INS ध्रुव दुश्मनों की न्यूक्लियर मिसाइलों को ट्रैक करने के अलावा पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगी। 175 मीटर लंबे इस मिसाइल-ट्रैकिंग शिप को पहले एक सीक्रेट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में 'वीसी 11184' नाम दिया गया था। इस शिप की तैनाती ऐसे समय में हो रही है, जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। ध्रुव जमीन से छोड़े गए कई वारहेड्स के साथ या पनडुब्बियों को भी मार गिराएगा।