भारत और US ने भारतीय नौसेना के 24 MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों के लिए Rs 7,995 करोड़ का सस्टेनेंस सपोर्ट पैकेज साइन किया है। इसमें स्पेयर्स, रिपेयर फैसिलिटीज़, ट्रेनिंग और टेक्निकल सपोर्ट शामिल है, जिससे ऑपरेशनल रेडीनेस और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को नई मजबूती मिली है। भारतीय नौसेना के लिए MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर सपोर्ट को लेकर दोनों देशों ने लगभग Rs 7,995 करोड़ की बड़ी डील साइन की है। यह समझौता US के फॉरेन मिलिट्री सेल्स (FMS) प्रोग्राम के तहत हुआ है और इसका मकसद नौसेना की एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, ऑपरेशनल रेडीनेस और लॉन्ग-टर्म सस्टेनेंस को बढ़ाना है। डील में स्पेयर्स, टेक्निकल सपोर्ट, रिपेयर फैसिलिटीज़ और मेंटेनेंस इंफ्रास्ट्रक्टर शामिल है, जो भारत को आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता की दिशा में आगे बढ़ाएगा।
कितने दिनों तक के लिए हुआ समझौता?
यह समझौता अगले पांच साल तक इन हेलीकॉप्टर्स की देखभाल, रिपेयर, ट्रेनिंग और तकनीकी सहायता सुनिश्चित करेगा। यह डील ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाकर दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया था। इसके बावजूद भारत ने नौसेना के इस सबसे खास हेलीकॉप्टर बेड़े के लिए एक अहम निर्णय लिया है।
यह डील इतनी ज़रूरी क्यों थी?
MH-60R सीहॉक, जिसे लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है, दुनिया के सबसे एडवांस्ड मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर्स में से एक माना जाता है। यह किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है और गहरे समुद्र में खतरनाक मिशनों को पूरा कर सकता है। इसे खास तौर पर एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, सर्च-एंड-रेस्क्यू, सर्विलांस और मैरीटाइम ऑपरेशंस के लिए तैयार किया गया है। भारत ने इन 24 हेलीकॉप्टर्स की खरीद 2020 में की थी। अब यह नया समझौता इनके लंबे समय तक सुचारू संचालन के लिए बनाया गया है।
इस पैकेज में शामिल हैं:
- आवश्यक स्पेयर्स और सपोर्ट इक्विपमेंट
- तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग
- कंपोनेंट्स की रिपेयर और रीप्लेनिशमेंट
भारत में रिपेयर और पीरियोडिक मेंटेनेंस फैसिलिटीज़
इससे नौसेना को हेलीकॉप्टर्स को देश में ही रिपेयर और मेंटेन करने की सुविधा मिलेगी। यानी अमेरिका पर लॉजिस्टिक निर्भरता कम होगी और “आत्मनिर्भर भारत” को सीधा फायदा मिलेगा।
क्या भारत की समुद्री सुरक्षा अब और मजबूत होने जा रही है?
डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, यह डील MH-60R हेलीकॉप्टर्स की ऑपरेशनल अवेलेबिलिटी बढ़ाएगी, यानी ये चॉपर हमेशा मिशन के लिए तैयार रहेंगे। सीहॉक हेलीकॉप्टर पहले से ही भारतीय नौसेना को मजबूत बनाते हैं क्योंकि इनके पास एंटी-सबमरीन की क्षमता है। यह भारत के समुद्री इलाकों में दुश्मनों की पनडुब्बियों पर नजर रखने का एक बेहद प्रभावी हथियार है।
यह सपोर्ट पैकेज इन हेलीकॉप्टर्स को-
- समुद्र में चल रहे जहाजों से
- अलग-अलग नौसैनिक बेस से
- किसी भी मौसम में
- बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम बनाएगा।
इस डील से भारतीय कंपनियों को क्या मिलेगा?
- सरकार ने साफ कहा है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए भारतीय MSMEs को नए अवसर मिलेंगे।
- सैन्य उपकरणों और सर्विसेज़ के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
- रिपेयर-मेंटेनेंस के नए सेंटर विकसित होंगे।
- यह कदम धीरे-धीरे भारत को नौसेना के हाई-टेक उपकरणों में आत्मनिर्भर बनाएगा।
क्या यह डील भविष्य में गेम-चेंजर साबित होगी?
भारत और US की यह डील सिर्फ एक तकनीकी समझौता नहीं है। यह भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाने, समुद्री सुरक्षा मजबूत करने और घरेलू रक्षा उद्योग को आगे बढ़ाने का एक बड़ा कदम है। MH-60R की ताकत और नए सपोर्ट सिस्टम के साथ भारत की समुद्री सीमाएं अब पहले से कहीं अधिक सुरक्षित होने वाली हैं।


