सऊदी अरब ने पाकिस्तान समर्थित सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में समर्थन का आश्वासन दिया है। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने रियाद में सऊदी नेतृत्व और अधिकारियों से मुलाकात की, जिसके बाद सकारात्मक संकेत मिले हैं।

रियाद: पाकिस्तान समर्थित सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में सऊदी अरब का समर्थन सुनिश्चित करके सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल रियाद से वापस लौट आया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद, सांसद बैजयंत पांडे के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब गया था ताकि ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख़ के बारे में विस्तार से बताया जा सके। मिशन कामयाब रहा।

बैजयंत पांडे ने बताया कि रियाद में भारतीय दूतावास में सऊदी सरकार के अधिकारियों, स्थानीय मीडियाकर्मियों, बुद्धिजीवियों, व्यापारिक हस्तियों और नागरिक समाज के लोगों के साथ हुई बैठकों और बुधवार व गुरुवार को सऊदी नेतृत्व और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बातचीत से सकारात्मक संकेत मिले हैं। हर मुलाकात में यही बात सामने आई कि आतंकवाद के खिलाफ अपनी अटूट प्रतिबद्धता में भारत और सऊदी अरब एकजुट हैं।

गुरुवार शाम को, रियाद स्थित भारतीय दूतावास में प्रवासी भारतीयों से बात करते हुए, पांडे ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान गरीबों के कल्याण और बच्चों की शिक्षा के लिए सऊदी द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद का इस्तेमाल आतंकी समूहों को बढ़ावा देने के लिए कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां दूसरे देशों में सरकारें सेना को नियंत्रित करती हैं, वहीं पाकिस्तान में सेना सरकार को नियंत्रित करती है।

दो दिन के रियाद दौरे के बाद, प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार सुबह अल्जीरिया के लिए रवाना हो गया। पांडे के अलावा, इस दल में भारतीय संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष डॉ. निशिकांत दुबे (भाजपा), राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य फांगनोन कोन्याक (भाजपा), राज्यसभा सदस्य रेखा शर्मा (भाजपा), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति और राज्यसभा सदस्य सतनाम सिंह संधू, और पूर्व विदेश सचिव एवं अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के पूर्व राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला शामिल थे।

बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया के दौरे पर गए इस प्रतिनिधिमंडल में कुवैत तक पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद भी थे। वहां उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जिसके कारण वह आगे के दौरे पर नहीं जा सके।