Indian Navy Warship Induction: स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। ये 75% स्वदेशी सामग्री से बने हैं और ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं। इससे नौसेना की ताकत और हिंद महासागर में सुरक्षा बढ़ेगी।
Indian Navy: भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ी है। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो अत्याधुनिक मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि का जलावतरण किया। दोनों युद्धपोत को स्टील्थ फीचर से लैस किया गया है। इसे इस तरह बनाया गया है कि रडार की पकड़ में आने से बच सके।
पहली बार एक दिन नौसेना में शामिल हुए अलग-अलग शिपयार्ड में बने दो युद्धपोत
यह पहली बार हुआ है जब दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने फ्रंटलाइन युद्धपोत को एक ही दिन नौसेना में शामिल किया गया है। इससे रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता की झलक दिखी है। 6700 टन के उदयगिरि और हिमगिरि परियोजना 17ए क्लास के नए युद्धपोत हैं। ये परियोजना 17 (शिवालिक) क्लास के फ्रिगेट पर आधारित हैं। इनमें डिजाइन, स्टील्थ टेक्नोलॉजी, हथियार और सेंसर सिस्टम अपग्रेड किए गए हैं।
ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं दोनों युद्धपोत
दोनों युद्धपोत में आधुनिक डीजल या गैस (CODOG) इंजन लगे हैं। इनमें एडवांस स्वदेशी हथियार और सेंसर लगे हैं। दोनों फ्रिगेटों को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है। सतह से सतह पर मार करने वाले इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल युद्धपोत और जमीन पर मौजूद टारगेट दोनों के लिए किया जा सकता है। हवाई हमले से बचाव के लिए दोनों युद्धपोत में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई गईं हैं। इसके साथ ही इनके पास 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी तथा 12.7 मिमी क्लोज-इन हथियार सिस्टम भी हैं।
75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से तैयार हुए उदयगिरि और हिमगिरि
आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को करीब 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से तैयार किया गया है। इससे सैकड़ों MSME (Micro, Small, and Medium Enterprises) ने हिस्सा लिया है। उदयगिरि का निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक में हुआ है। वहीं, हिमगिरि को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा तैयार किया गया है। इन जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने डिजाइन किया था।
इंडियन नेवी का पूर्वी बेड़ा हुआ मजबूत
अपने जलावतरण के बाद, उदयगिरि और हिमगिरि दोनों पूर्वी बेड़े में शामिल हो जाएंगे। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा स्थिति मजबूत होगी। रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि इन जहाजों के शामिल होने से नौसेना की युद्धक तैयारियां बढ़ेंगी और युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि होगी।
