सार

लक्षद्वीप में INS जटायु नेवी अड्डा खोलने से पहले अंडमान में INS बाज़ राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मौजूद है। इसके मदद से समुद्र के सुदूर इलाकों में देश के लिए आंख और कान के रूप में काम करेगा।

इंडियन नेवी। इंडियन नेवी ने बुधवार (6 मार्च) को लक्षद्वीप द्वीप समूह के मिनिकॉय में एक नया नौसैनिक अड्डा खोला है। इसे अड्डे का नाम INS जटायु रखा है। इस नई चौकी पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा ये नेवी ऑपरेशन के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। नए बेस का चालू होना न केवल भारतीय नौसेना के लिए, बल्कि देश की समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में राजनीतिक स्थिति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस चौकी का नाम हिंदू महाकाव्य रामायण में एक विशाल पक्षी के नाम पर रखा गया है।रामायण में जटायु सीता के अपहरण को रोकने की कोशिश सबसे पहले की थी। इसके अलावा उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर माता सीता को बचाने की हर संभव प्रयास किया था।

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बेस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि लक्षद्वीप में ये अपने आप में दूसरा बेस है। इसमें ऑपरेशन संबंधी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा, जिसमें एक हवाई क्षेत्र और एक जेटी शामिल है। नौसेना यहां ज्यादा से ज्यादा अपनी जरूरी चीजों की तैनाती करेगी। इस नए बेस से भारत मालदीव पर दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है। हाल के वक्त में मालदीव को नजरिया भारत के प्रति बदला है, उसके मद्देनजर भारत की ओर से ऐसी तैयारी बेहद जरूरी थी।

लक्षद्वीप में INS जटायु  बेस क्यों है जरूरी?

लक्षद्वीप में INS जटायु नेवी अड्डा खोलने से पहले अंडमान में INS बाज़ राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मौजूद है। इसके मदद से समुद्र के सुदूर इलाकों में देश के लिए आंख और कान के रूप में काम करेगा। भारत ने ये कदम न सिर्फ मालदीव को लेकर उठाया है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते  समुद्री आतंक, अपराध और समुद्री डकैती में होने वाली बढ़ोत्तरी के मद्देनजर भी जरूरी था।

 

 

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत न केवल अल्पकालिक चल रहे संकटों को पूरा करने के लिए है, बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में भविष्य में शक्ति संतुलन सुनिश्चित करना है। मिनिकॉय लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है, जो कोच्चि से 215 समुद्री मील दक्षिण-पश्चिम में है। यह 9 डिग्री चैनल के पास स्थित है, जो एक व्यस्त वैश्विक शिपिंग मार्ग है, और मालदीव के सबसे उत्तरी द्वीप से लगभग 80 समुद्री मील की दूरी पर है।

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