सार

युवा भारत आज की तारीख में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। युवा अपनी सोच और इनोवेशन को बदल पर नए सपनों को गढ़ रहे हैं और आर्थिक आजादी के नारे को बुलंद कर रहे हैं।

World Third largest Startup ecosystem: पिछले 7 सालों में देश के युवाओं में नौकरी को लेकर नया नजरिया सामने आया है। अब युवा नौकरी करने की बजाय खुद को नौकरी देने वाला बनाने की ओर बेखौफ तरीके से बढ़ रहे हैं। युवाओं के सपनों को पंख लगा रहा है देश का नया स्टार्टअप इकोसिस्टम। शायद यही वजह है कि युवा भारत आज की तारीख में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। युवा अपनी सोच और इनोवेशन को बदलकर अपने सपनों को गढ़ रहे और आर्थिक आजादी के नारे को बुलंद कर रहे हैं। 

दरअसल, करीब सात साल पहले 16 जनवरी 2016 को भारत सरकार की महत्वपूर्ण पहल स्टार्टअप इंडिया को लांच किया गया था। इस इनिशिएटिव का मुख्य उद्देश्य इनोवेशन को बढ़ावा देना, स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करने के अलावा देश में उद्यमिता को एक नई गति देना था।

पीएम मोदी ने स्टार्टअप इंडिया को विकास का सबसे तेज इंजन बताया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि स्टार्टअप विकास के ऐसे तेज इंजन हैं, जो नवाचार की शक्ति को प्रकट करते हैं। कई बड़ी कंपनियां स्टार्टअप से शुरू हुई हैं। वे उद्यम और साहस की भावना के साथ पैदा हुए और कड़ी मेहनत, दृढ़ता के कारण जीवित रहे। वही अब इनोवेशन के प्रतीक बन गए हैं। 

सच हो रहा सपना

बेरोजगारी और ब्रेन ड्रेन का दंश झेल रहे देश में स्टार्टअप संजीवनी साबित हुई है। स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव ने देश में नया उद्यमी क्लास पैदा किया है। यह पहल उद्यमियों को समर्थन देने के साथ मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण कर रहा है। भारत में अब नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं की बजाय नौकरी पैदा करने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वह अपनी सोच और इनोवेटिव आइडियाज से तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

स्टार्टअप से देश की बदल रही तस्वीर

स्टार्टअप इंडिया के लॉन्च के बाद से भारत की तस्वीर तेजी से बदल रही है। युवाओं के रूझान से ही भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। देश में अब तक 1.18 लाख से अधिक ऐसे स्टार्टअप हैं जो डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त हैं। भारत सरकार के कामर्स एवं इंडस्ट्री मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 2016 में केवल 300 थी। लेकिन यहबढ़कर 14 जनवरी 2024 तक 1,18,320 हो गई है।

आधी आबादी भी कंधा से कंधा मिलाकर गढ़ रहीं भविष्य

केवल युवक ही नहीं युवतियां भी स्टार्टअप्स से अपने सपनों को गति दे रही हैं। अपनी सोच को हकीकत का अमली जामा पहना रही हैं। हजारों महिलाएं और युवतियां न केवल अपने सपनों को साकार कर रहीं बल्कि आर्थिक संबल भी परिवार और समाज को प्रदान कर रहीं हैं। भारत सरकार के आंकड़ों की मानें तो देश के स्टार्टअप्स में 47 प्रतिशत की डायरेक्टर महिलाएं हैं। यानी देश में कुल 1,14,902 स्टार्टअप में से 54,569 स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक है। यह आंकड़ा 31 अक्टूबर 2023 तक का है। यह आंकड़े महिला सशक्तिकरण की कहानी भी बयां करते हैं।

छोटे शहर और बड़े शहर का भेद कम हो रहा

अमूमन कम संसाधन और पहुंच छोटे शहरों के युवाओं को आगे बढ़ने से रोकते हैं। आमतौर पर युवा अपने शहरों को छोड़कर अपने सपनों को पूरा करने के पलायन करते हैं। गांव से लेकर छोटे शहर में या तो प्रतिभा पलायन होता है या वह अपने सपनों को दम तोड़ते देखते हैं। लेकिन स्टार्टअप ने इस परिदृश्य को बदल दिया है। अब आप छोटे शहरों में भी रहकर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। सात सालों में देश में छोटे और बड़े शहरों के बीच खींची असमानता की लकीर मिटती दिख रही है। स्टार्टअप का इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आंकड़ें बयां करते हैं कि देश में रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स में 45% से अधिक स्टार्टअप टियर 2 और 3 शहरों से हैं। यानी सपनों को पूरा करने के लिए अब युवा बड़े शहरों या दूसरे देशों के मोहताज नहीं रहे।

रोजगार के मौके अब हर जगह

देश में स्टार्टअप्स की वजह से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। सात सालों में केवल स्टार्टअप्स की वजह से ही 12.2 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं।

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