सार
झारखंड में रविवार को एक दिव्यांग बच्चे के पैनिक होने पर उसे फ्लाइट में नहीं चढ़ने देने की मामले की जांच होगी। सोशल मीडिया पर यह मामला उछलने के बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन(Union Minister for Civil Aviation) ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया(Jyotiraditya M. Scindia) ने जांच के आदेश दिए हैं।
नई दिल्ली. झारखंड में रविवार को एक दिव्यांग बच्चे को इंडिगो की फ्लाइट में नहीं चढ़ने देने के मामले में जांच के आदेश हुए हैं। बच्चा पैनिक हो गया था, इसके चलते उसे फ़्लाइट में नहीं बैठने दिया गया था। सोशल मीडिया पर यह मामला उछलने के बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन(Union Minister for Civil Aviation) ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया(Jyotiraditya M. Scindia) ने जांच के आदेश दिए हैं। एक जर्नलिस्ट अभिनंदन मिश्रा(@mishra_abhi) ने यह मामला tweet करके सिंधिया, डीजीसी इंडिया और पीएमओ(@JM_Scindia, @DGCAIndia, @PMOIndia) को टैग किया था। इसमें दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी। इस पर सिंधिया ने जवाब देते हुए लिखा कि इस तरह के व्यवहार के प्रति जीरो टॉलरेंस(zero tolerance)है। किसी भी इंसान को इससे नहीं गुजरना चाहिए। वे स्वयं मामले की जांच कर रहे हैं, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। हालांकि सिंधिया के कड़े तेवर देखकर एयरलाइन के CEO ने माफी मांगी है।
यह है पूरा मामला
रविवार को रांची हवाईअड्डे पर एक दिव्यांग बच्चा असहज महसूस कर रहा था। जब तक वह सुरक्षा जांच से गुजरा और गेट पर पहुंचा (बोर्डिंग से लगभग एक घंटा पहले), तो ऐसा लग रहा था कि वह भूख, प्यास, चिंता और भ्रम की स्थिति में है। बच्चे को पैनिक होता देख दूसरे अन्य यात्रियों ने मदद की पेशकश की। इसी बीच बच्चे की तरफ इंडिगोएयरलाइन्स(indigoairlines) के कर्मचारियों का ध्यान गया। कर्मचारी बच्चे और उसके माता-पिता के पास गए और चेतावनी दी कि अगर बच्चा शांत नहीं हुआ तो वह उन्हें बोर्ड पर नहीं चढ़ने देंगे। हालांकि दूसरे यात्रियों ने इसका विरोध किया। कई लोगों ने इंडिगो एयरलाइंस की वेबसाइट पर जाकर भी नियम पुस्तिका के आधार पर इसे गलत बताया।
इंडिगो की सफाई
मामला तूल पकड़ने के बाद इंडिगो एयरलाइन ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर दिव्यांग बच्चे को 7 मई के दिन उसके परिवार के साथ फ्लाइट में चढ़ने से रोका गया था। क्योंकि बच्चा पैनिक की स्थिति में था। हालांकि ग्राउंड स्टाफ ने अंतिम समय तक बच्चे के शांत होने का इंतजार किया। बाद में एयरलाइन ने विकलांग के परिवार को होटल में ठहरने का सुविधा दी। इसके बाद सोमवार सुबह परिवार यात्रा पर रवाना किया गया। बता दें कि हर महीने इंडिगो विमान से 75 हजार से अधिक विकलांग यात्री यात्रा करते हैं।
जर्नलिस्ट अभिनंदन मिश्रा ने किया था tweet
शिकायत में लिखा गया कि जिस फ्लाइट से दिव्यांग बच्चा यात्रा कर रहा था, उसी में डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल( delegation of doctors) भी था। उन्होंने ग्राउंड स्टाफ से हवाई अड्डे के डॉक्टर को बुलाने और बच्चे की यात्रा को जारी रखने के लिए फिटनेस चेक करने को कहा। उन्होंने बच्चे और उसके माता-पिता को अपनी तरफ से सहायता देने की बात भी कही, अगर यात्रा के बीच में कोई दिक्कत होती है। डॉक्टरों ने इंडिगो मैनेजर से कहा कि वे इस बच्चे और उसके परिवार के साथ यात्रा कर रहे हैं, इसलिए उसे बैठने दें।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला भी दिया
प्लेन से यात्रा करने जा रहे अन्य डॉक्टर, शिक्षक, सरकारी अधिकारी यात्रियों ने अपने मोबाइल फोन पर वो न्यूज दिखाईं, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय(supreme court) के निर्णय के बारे में निर्देश थे कि कोई एयरलाइन विकलांग यात्रियों के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है। लेकिन इंडिगो मैनेजर जोर-जोर से चिल्लाकर अपनी बात कहता रहा कि यह यह बच्चा बेकाबू है। वह दहशत की स्थिति में है। आखिरकार उसे यात्रा नहीं करने दी गई।
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