सार

इंडिगो एयरलाइंस के एक विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है, जिसमें महिला सशक्तिकरण को लेकर दिए गए बयान पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि एयरलाइन का महिला कर्मचारियों के प्रति रवैया उनके विज्ञापन के संदेश से मेल नहीं खाता।

इंडिगो एयरलाइंस के एक विज्ञापन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। महिला सशक्तिकरण को लेकर दिए गए बयान के कारण इंडिगो की आलोचना हो रही है। एयरलाइन का उद्देश्य विज्ञापन के माध्यम से दिखाना था कि कैसे उनकी महिला केबिन क्रू पितृसत्ता से मुक्ति पाती है। हालाँकि, लोगों का कहना है कि इस संदेश और एयरलाइन के काम करने के तरीके में भारी अंतर है।  

विज्ञापन में कहा गया है कि "800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पितृसत्ता से मुक्ति।" विज्ञापन में एक महिला कर्मचारी को विमान में अपनी ड्यूटी करते हुए दिखाया गया है। इसी बात को लेकर लोग एयरलाइन की आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि महिलाओं का सशक्तिकरण ऐसे नहीं होता और महिलाओं की ताकत को आपने गलत समझा है। 

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि एयरलाइन केवल महिला कर्मचारियों को ही केबिन क्रू के रूप में नियुक्त करती है और वह भी अपने तय मानकों के अनुसार। इन महिलाओं के लिए एक निश्चित वजन, ऊंचाई और सुंदरता का होना जरूरी है। और ऐसे में महिलाओं को नौकरी पर रखने वाले लोग ही यह कह रहे हैं कि पितृसत्ता से मुक्ति का यही रास्ता है। 

'माफ़ करना, लेकिन युवतियों को ज़्यादा मेकअप और ऊँची हील वाली सैंडिल पहनने के लिए मजबूर करना, वह भी ऐसी नौकरी में जहाँ उन्हें घंटों खड़े रहना पड़ता है, यह 'पितृसत्ता को तोड़ने' जैसा नहीं है। अगर कुछ है, तो यह बिल्कुल उल्टा है। इंडिगो का इसे 'महिला शक्ति' कहकर महिलाओं को गुमराह करना हास्यास्पद है' - एक्स (ट्विटर) पर तस्वीर साझा करते हुए एक यूजर ने लिखा है।