सार

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और छलांग लगाई है। इसरो के GSLV F12 रॉकेट ने NVS-1 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित किया है। इस उपग्रह का वजन 2232 किलोग्राम है। उपग्रह का इस्तेमाल नेविगेशन में होगा।

श्रीहरिकोटा। भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और छलांग लगाई है। इसरो (Indian Space Research Organisation) ने सोमवार सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर अपने अगली पीढ़ी के नेविगेशन सैटेलाइट NVS-1 को लॉन्च किया। 2232 किलोग्राम वजन वाला यह उपग्रह NavIC (Navigation with Indian Constellation) सीरिज का हिस्सा है। इसका उद्देश्य निगरानी और नेविगेशन क्षमता प्रदान करना है। 

इस उपग्रह की मदद से GPS सेक्टर में क्रांति आएगी। इसके साथ ही सेनाओं की ताकत में इजाफा होगा। NVS-1 को GSLV F12 रॉकेट से अंतरिक्ष में उसकी कक्षा में स्थापित किया। इस रॉकेट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया। NVS-1 उपग्रह NavIC की दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से पहला है। NavIC द्वारा दो तरह की सेवाएं दी जा रहीं हैं। इससे सिविल यूजर्स को स्टैंडर्ड पोजीशन सर्विस दी जाती है। इसके साथ ही सेना जैसे स्ट्रेटेजिक यूजर के लिए भी सेवाएं दी जाती हैं। भारत इस तरह की क्षमता वाला दुनिया का तीसरा देश है।

 

 

रॉकेट के लॉन्च होने के करीब 20 मिनट बाद उपग्रह को अंतरिक्ष में उसकी कक्षा में स्थापित किया गया। उपग्रह में स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी भी लगाया गया है। इसका इस्तेमाल सटीक समय जानने के लिए होगा।

करगिल की लड़ाई के वक्त भारत को महसूस हुई थी नेविगेशन सैटेलाइट की जरूरत

गौरतलब है कि अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले उपग्रहों का बड़े पैमाने पर सेना द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है। करगिल की लड़ाई के दौरान भारत के पास अपना नेविगेशन सिस्टम नहीं था। पहाड़ों की चोटियों पर छिपे बैठे पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला करने के लिए नेविगेशन सैटेलाइट से मिलने वाले डाटा की जरूरत थी। भारत ने अमेरिका से इसकी मांग की, लेकिन अमेरिका ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद भारत ने अपना नेविगेशन सिस्टम विकसित करने का फैसला किया। इसके लिए उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा गया।

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