सार

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जोजिला टनल में निर्माण कार्य के लिए वर्चुअली पहला ब्लास्ट किया। ये टनल श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह में सभी मौसम में कनेक्टिविटी मुहैया कराएगी। भारी बर्फबारी के कारण करीब छह महीने तक करगिल और श्रीनगर के बीच आवाजाही बंद हो जाती है। लेकिन टनल के बनने के बाद पूरे साल आवाजाही रहेगी। 

नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जोजिला टनल में निर्माण कार्य के लिए वर्चुअली पहला ब्लास्ट किया। ये टनल श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह में सभी मौसम में कनेक्टिविटी मुहैया कराएगी। भारी बर्फबारी के कारण करीब छह महीने तक करगिल और श्रीनगर के बीच आवाजाही बंद हो जाती है। लेकिन टनल के बनने के बाद पूरे साल आवाजाही रहेगी। टनल बनने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना को भी बड़ा फायदा होगा। इसके बनने से 3 घंटे की दूरी 15 मिनट में तय हो जाएगी। 

 

अक्टूबर 2013 में कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी : जोजिला टनल को बनाने के लिए अक्टूबर 2013 में कैबिनेट ने इस रोड टनल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। फिर मई 2017 में टनल को बनाने के लिए चार प्राइवेट कंपनियों ने बोली लगाई, जिसमें एलएंडटी, आईएलएफएस, जेपी इंफ्राटेक और रिलायंस इंफ्रा थीं। 

जुलाई 2017 में आईएल एंड एफएस को प्रोजेक्ट मिला : साल 2017 में आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्स लिमिटेड, जिस फर्म ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी टनल का निर्माण किया था, उसने टनल के लिए सबसे कम लागत वाली बोली लगाई। कंपनी ने 99 4,899 करोड़ रुपए की लागत से 7 साल में टनल बनाने की बात कही।

जनवरी 2018 में टनल बनाने की मंजूरी दी गई : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भूमि अधिग्रहण लागत सहित 6,809 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली एशिया की सबसे बड़ी 14.2 किलोमीटर की द्वि-दिशात्मक टनल को मंजूरी दी। टनल बनाने के लिए 5 साल का वक्त तय किया गया। 

मई 2018 में पीएम मोदी ने फाउंडेशन स्टोन रखा : साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पर फाउंडेशन स्टोन रखा और काम शुरू हुआ। लेकिन एक साल बाद ही काम बंद करना पड़ा।

2019 में टनल बनाने वाली कंपनी दिवालिया हो गई : मार्च 2019 में इस परियोजना को लेकर फिर से बोली लगी, क्योंकि पहले के डेवलपर आईएल एंड एफएस दिवालिया हो गई। जून 2020 में टनल के निर्माण के लिए बोली लगाने का काम शुरू हुआ।

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को मिला काम : अगस्त 2020 में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) ने  4509 करोड़ रुपए की कीमत के साथ सबसे कम बोली लगाई। एमईआईएल को टनल के निर्माण का काम मिल गया।


जोजिला टनल की क्या-क्या खासियत है?

एशिया की सबसे लंबी रोड टनल: जोजिला टनल एशिया में सबसे लंबी द्वि-दिशात्मक रोड टनल होगी। इसे पांच साल में पूरा किया जाएगा।

माइनस 45 डिग्री में भी होगा काम : जहां जोजिला टनल बनाया जा रहा है वहां के कुछ क्षेत्रों में तापमान शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। जोजिला टनल 14.2 किलोमीटर लंबी होगी।

टनल में हर 125 मीटर पर टेलीफोन बूथ : सुरक्षा सुविधाओं में प्रत्येक 125 मीटर पर आपातकालीन टेलीफोन और अग्निशमन की व्यवस्था की जाएगी। 

3 घंटे की दूरी सिर्फ 15 मिनट में पूरी : करगिल और लेह-लद्दाख के बीच आवाजाही 12 महीने खुली रहेगी। इसके साथ ही टनल के निर्माण के बाद 3 घंटे की दूरी 15 मिनट में तय हो जाएगी।

टनल में 80 किमी. की रफ्तार से चलेंगी गाड़ियां : इस टनल में 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन गुजर सकेंगे। हाई-टेक कॉम्युनिकेशंस समेत इस टनल पर तमाम जरूरी सेफ्टी फीचर्स भी उपलब्ध होंगे।

कुतुब मीनार की ऊंचाई की 5 गुना अधिक ऊंचाई पर बनेगी टनल : टनल कुतुब मीनार की ऊंचाई से 5 गुना अधिक ऊंचाई पर बनाई जाएगी। श्रीनगर-करगिल-लेह हाइवे पर 11,578 फुट की ऊंचाई पर स्थित जोजिला दर्रे में बन रही टनल से लद्दाख हर मौसम में कश्मीर घाटी से जुड़ा रह सकेगा।