सार
जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष (JNUSU President) आइशी घोष का कहना है कि जेएनयूएसयू ऑफिस में कार्यक्रम कराने के लिए जेएनयू प्रशासन की अनुमति की कोई जरूरत नहीं होती है।
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली (JNU) में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है। जेएनयू प्रशासन (JNU Administration) की अनुमति न होने बावजूद जेएनयूएसयू (JNUSU) ने शनिवार रात 9:30 बजे डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ (Ram Ke Naam) की स्क्रीनिंग की। यह डॉक्यूमेंट्री 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर आधारित है। डॉक्यूमेंट्री को लेकर पहले भी जेएनयू प्रशासन ने कहा था कि कहा था कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है इसलिए कार्यक्रम रद्द करें। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्र संघ को इसके लिए कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी, लेकिन छात्र संघ नहीं माना।
निर्माता ने कहा- बोर्ड से मिला है यू प्रमाणपत्र
जेएनयू की छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष का कहना है कि JNUSU ऑफिस में कार्यक्रम कराने के लिए जेएनयू प्रशासन की अनुमति की कोई जरूरत नहीं होती है। डॉक्यूमेंट्री निर्माता आनंद पटवर्धन ने कहा कि हमें फिल्म दिखाने का पूरा अधिकार है, क्योंकि इसे केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से ‘यू’ प्रमाणपत्र मिला है।
रजिस्ट्रार ने कहा था- कार्यक्रम रद्द करें वर्ना होगी कार्रवाई
जेएनयू रजिस्ट्रार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर एक सर्कुलर भेजा था, उसमें लिखा गया था कि संज्ञान में आया है कि जेएनयूएसयू के नाम पर छात्रों के एक समूह ने छात्र संघ हॉल में आज रात 9:30 बजे एक डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग के लिए एक पर्चा जारी किया है। इस आयोजन के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली गई है। सर्कुलर में उन्होंने इस गतिविधि से सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल बिगड़ने की आशंका जताई थी। इस पत्र में कहा गया था कि संबंधित छात्रों / व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वो प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दें, ऐसा न करने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
2016 में जेएनयू में लगे थे देश विरोधी नारे
9 फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में दिल्ली संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु की बरसी से जुड़े कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगे थे। जेएनयू कैंपस में हुई इस नारेबाजी के कई वीडियो सामने आए थे। देशद्रोह के इस मामले में जेएनयू के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भी आरोपी बनाया गया था। मामला सामने आने के बाद तत्कालीन पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने 11 फरवरी को दक्षिण दिल्ली के बसंत कुंज में कई छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
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