सार

गुना से चार बार सांसद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। 

नई दिल्ली. ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें सदस्यता दिलाई। भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे पहले पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा का धन्यवाद किया। बता दें कि सिंधिया ने मंगलवार को ट्वीट कर कांग्रेस छोड़ने की जानकारी दी थी। वह 4 बार गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद रहे। 18 साल तक कांग्रेस में सांसद रहने के अलावा केंद्रीय मंत्री भी रहे।  

3 घंटे बाद ही मिला राज्यसभा उम्मीदवार का टिकट

ज्योतिरादित्य सिंधिया 2.50 बजे भाजपा में शामिल होते हैं और करीब 3 घंटे बाद यानी 5 बजे भाजपा की तरफ से राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी गई। इसमें मध्य प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया गया है।

भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की 10 बड़ी बातें

1- "मेरे जीवन में दो तारीखें बहुत महत्वपूर्ण रहीं। एक 30 सितंबर 2001 जब मैंने अपने पूज्य पिताजी को खोया। दूसरा दिन 10 मार्च 2020, जो उनकी 75वीं वर्षगांठ थी, जहां जीवन में एक नई परिकल्पना, एक नए मोड़ का सामना करके एक निर्णय मैंने लिया।"

2- "मध्य प्रदेश में 2018 में एक सपना पिरोया था, जब वहां सरकार बनी। लेकिन 18 महीने में वो सारे सपने बिखर गए।"

3- "मध्य प्रदेश में चाहे वो किसानों के ऋण माफ करने की बात हो, पिछले फसल का बोनस न मिलना हो, ओलावृष्टि से नष्ट फसल आदि का भी मुआवजा अब तक नहीं मिल पाया है।"

4- "हमारा लक्ष्य इस भारत में जनसेवा होना चाहिए। राजनीति केवल उस लक्ष्य को पूरा करने का एक माध्यम होना चाहिए। जो 18-19 वर्षों में समय मुझे मिला है। पूरी श्रद्धा के साथ प्रदेश और देश की सेवा करने की कोशिश की। कांग्रेस के द्वारा। लेकिन मन दुखी है। क्योंकि जो आज स्थिति पैदा हुई। मैं यह कह सकता हूं विश्वास के साथ, कि जन सेवा का लक्ष्य को इस संगठन (कांग्रेस) के जरिए पूरा नहीं हो सकता है।"

5- "जो कांंग्रेस पहले थी वह आज नहीं रही। कांग्रेस में तीन मुख्य बिंदु हैं। एक वास्तविकता से इनकार करना। वास्तविकता का समावेश न करना। जड़ता का एक वातावरण बना हुआ है। मैं मानता हूं कि इस वातावरण में जो स्थिति हो चुकी है। वही मेरे राज्य की है।"

6- उन्होंने कहा "मंदसौर के गोलीकांड के बाद मैंने सत्याग्रह छेड़ा था, आज भी हजारों किसानों पर केस लगे हैं। ट्रांसफर उद्योग, रेत का माफिया मध्य प्रदेश में चल रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर अलग विडंबना और राज्य स्तर पर अलग स्थिति।"

7- "कांग्रेस की तीन कमियां हैं। वास्तविकता से इनकार करना, जड़ता और नए नेतृत्व को मान्यता न मिलना।"

8- "रोजगार के अवसर नहीं हैं। वचन पत्र में कहा गया था कि हर महीने अलाउंस दिया जाएगा, उसकी सुध नहीं ली गई।"

9- "देश के इतिहास में शायद किसी को भी इतना बड़ा जनादेश नहीं मिला, जितना कि एक बार नहीं दो बार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को मिला है।"

10- "मैं खुद को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मुझे वह मंच प्रदान किया गया है, जिसके आधार पर जनसेवा और राष्ट्रसेवा पर आगे बढ़ पाएंगे।"

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ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक सफर

1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से ली इकॉनमी में डिग्री

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से इकॉनमी में डिग्री ली थी। पढ़ाई खत्म करने के बाद ज्योतिरादित्य ने अमेर‍िका में लगभग साढ़े चार साल काम क‍िया।

1994 में प्रियदर्शनी से शादी
12 दिसंबर 1994 में ज्योतिरादित्य की प्रियदर्शनी राजे से शादी हुई थी। प्रियदर्शनी बड़ौदा के गायकवाड़ घराने की राजकुमारी हैं। वह दुन‍िया की 50 सबसे खूबसूरत महिलाओं में शुमार की जा चुकी हैं।

2002 में गुना से सांसद बने
30 सितंबर 2001 को उत्तर प्रदेश में विमान दुर्घटना में सांसद पिता माधवराव सिंधिया की मृत्यु के कारण गुना की सीट खाली हो गई। 18 दिसंबर को ज्योतिरादित्य औपचारिक रूप से कांग्रेस की सदस्यता ली। 19 जनवरी 2002 को सिंधिया ने गुना से उपचुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन भरा। 24 फरवरी को नतीजे आए और उन्होंने चुनाव जीत लिया। सिंधिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के देशराज सिंह यादव को लगभग 450,000 मतों के अंतर से हराया।

2004 में फिर से चुने गए सांसद
मई 2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव हुआ और ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर से गुना से सांसद चुने गए। उन्हें 2007 में केंद्रीय मंत्री (केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री) का पद मिला। 

2009 में फिर से सांसद चुने गए
2009 में 15वीं लोकसभा में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से फिर से चुने गए। सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बने। सिंधिया को नवंबर 2012 में ऊर्जा राज्य मंत्री का पद दिया गया। 

2014 में फिर से सांसद चुने गए
लोकसभा चुनाव 2014 में सिंधिया फिर से गुना से सांसद बने, लेकिन 2019 में कृष्ण पाल सिंह यादव के लिए वह सीट हार गए। 

सिंधिया परिवार के तीसरी पीढ़ी के नेता 
मध्य प्रदेश में सिंधिया घराना बड़ा नाम है। ज्योतिरादित्य सिंधिया तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। सिंधिया परिवार में राजनीति की शुरुआत दादी विदयाराजे सिंधिया से हुई। फिर पिता माधवराव सिंधिया और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। दादी विजयाराजे भाजपा की कद्दावर नेताओं में से एक थीं।

 

दादी के निधन के 8 महीने बाद ही पिता की मृत्यु हुई
ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का देहांत 25 जनवरी 2001 को हुआ था। इसके 8 महीने बाद ही 30 सितम्बर 2001 को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में हेलीकाप्टर दुर्घटना में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की मृत्यु हो गई थी।