सार
अब मुस्लिम समाज को आर्थिक आधार पर आरक्षण श्रेणी में रखा गया है। दस प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा में डाल दिया गया है।
OBC quota of Muslims scrapped: कर्नाटक मंत्रिमंडल ने बड़ा फैसला किया है। शुक्रवार को कैबिनेट ने मुसलमानों के लिए ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया। कर्नाटक में मुसलमानों को 4 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण दिया जाता है। अब मुस्लिम समाज को आर्थिक आधार पर आरक्षण श्रेणी में रखा गया है। दस प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा में डाल दिया गया है। मुस्लिम समाज के चार प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को काटकर वोक्कालिगा और लिंगायत समाज को दे दिया गया है। दो प्रतिशत वोक्कालिगा और दो प्रतिशत लिंगायत समाज को यह ओबीसी कोटा आवंटित कर दिया गया है।
लिंगायत और वोक्कालिगा का कोटा बढ़ा
कर्नाटक कैबिनेट के निर्णय के बाद ओबीसी रिजर्वेशन का वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों का कोटा बढ़ गया है। वोक्कालिगा को चार प्रतिशत तो लिंगायत को पांच प्रतिशत ओबीसी आरक्षण कोटा में निर्धारित था। अब दो-दो प्रतिशत बढ़ने के बाद वोक्कालिगा समुदाय का कोटा छह प्रतिशत तो लिंगायत समुदाय को सात प्रतिशत हो जाएगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बताया कि कैबिनेट के फैसले के बाद वोक्कालिगा को क्रमशः 2 (सी) और 2 (डी) श्रेणी के तहत 6 प्रतिशत और लिंगायत को 7 प्रतिशत मिलेगा।
मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस कोटा में डाला गया
कैबिनेट के फैसले के अनुसार मुसलमानों को दस प्रतिशत वाले ईडब्ल्यूएस वाले कोटे में डाल दिया गया है। इस कोटे में मुसलमानों के अलावा ब्राह्मणों, जैनियों, आर्य वैश्यों, नागरथों, मुदलियारों को रखा गया है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पॉजिटिव रूप में देखे तो मुसलमानों को दस प्रतिशत आरक्षण के बड़े पूल में रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मुसलमान कैटेगरी 1 और कैटेगरी 2ए के अंतर्गत भी आते हैं जो उसमें पूर्व की भांति रहेंगे।
अंबेडकर ने कहा था आरक्षण जातियों के लिए न कि धर्म आधारित हो: बोम्मई
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। यह किसी भी राज्य में नहीं है। आंध्र प्रदेश में कोर्ट ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण को रद्द कर दिया। यहां तक कि बीआर अंबेडकर ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि आरक्षण जातियों के लिए है। ऐसे में धर्म आधारित आरक्षण को हमने रद्द करने का फैसला किया है।
यह भी पढ़ें:
क्या है रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, जिसके तहत खत्म हो गई राहुल गांधी की सदस्यता?