सार

राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हो चुकी है। अब वे वायनाड से सांसद नहीं हैं। लोकसभा सचिवालय ने मोदी सरनेम मामले में सूरत कोर्ट के फैसले के बाद शुक्रवार को उनकी सदस्यता रद्द कर दी। ऐसे में अब सवाल है कि आखिर उनके पास क्या विकल्प हैं? आइए जानते हैं।

नई दिल्ली। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता समाप्त कर दी। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधि कानून 1951’ की धारा 8 के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया है। बता दें कि राहुल गांधी को मानहानि के एक केस में सूरत की सेशन कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। संसद सदस्यता खत्म होने के बाद आखिर राहुल गांधी के पास क्या रास्ते बचे हैं? क्या वो चुनाव लड़ पाएंगे, उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा? जानते हैं कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब।

सवाल 1: राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने के बाद क्या अब वायनाड सीट पर चुनाव होगा?

जवाब - एक्सपर्ट्स की मानें तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। इसका मतलब ये है कि चुनाव आयोग चाहे तो अब इस सीट पर चुनाव की घोषणा कर सकता है। इतना ही नहीं, राहुल गांधी को दिल्ली वाला सरकारी बंगला भी छोड़ना पड़ सकता है।

सवाल 2 : संसद सदस्यता खत्म होने के बाद क्या राहुल गांधी आगे चुनाव लड़ पाएंगे?

जवाब : एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के बाद अगर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी उनकी सजा को बरकरार रखती हैं तो वे अगले 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, 2 साल की सजा पूरी होने के बाद वे 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होंगे।

सवाल 3 : क्या राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है?

जवाब : बिल्कुल, राहुल गांधी सदस्यता खत्म करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं। क्योंकि, कुछ इसी तरह का मामला 2022 में यूपी की रामपुर सीट से सपा विधायक आजम खान के साथ हुआ था। अक्टूबर, 2022 में रामपुर की कोर्ट ने हेट स्पीच के मामले में आजम खान को 3 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधायकी रद्द कर दी थी। बाद में आजम खान इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा सचिव और यूपी सरकार से पूछा था कि इस केस में इतनी जल्दबाजी क्यों?

सवाल 4 : अगर उपरी कोर्ट से राहुल गांधी की सजा खत्म हो जाती है तो फिर उनकी संसद सदस्यता क्या बहाल होगी?

जवाब : अगर हायर कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा को रद्द कर दिया, फिर भी उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं होगी। हां, लेकिन वो आगे चुनाव जरूर लड़ सकेंगे।

सवाल 5 : राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद क्या अब वायनाड सीट पर बाय इलेक्शन होंगे?

जवाब : नियमों के मुताबिक हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव मई, 2024 में होंगे, जिसमें अभी एक साल से ज्यादा का समय बचा है। नियमों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में अगर 6 महीने से ज्यादा का वक्त बचा है तो संबंधित सीट पर उप चुनाव कराया जा सकता है।

सवाल-6 : वायनाड सीट पर अगर बाय इलेक्शन हुए तो क्या राहुल गांधी चुनाव लड़ पाएंगे?

जवाब : दो परिस्थतियों में ऐसा हो सकता है। उप चुनाव की तारीख का ऐलान होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले मानहानि के केस में राहुल गांधी के कन्विक्शन पर बड़ी अदालत रोक लगा दे। दूसरे हालात में, राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे। हालांकि, ये दोनों ही चीजें चुनाव तारीख का ऐलान होने और नामांकन की अंतिम तारीख से पहले होना जरूरी हैं।

क्या है जनप्रतिनिधि कानून?

- साल 1951 में जनप्रतिनिधि कानून लागू किया गया था। इस कानून की धारा 8 के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी केस में दोषी करार दिया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा।

- इतना ही नहीं, धारा 8 (1) में उन अपराधों का भी उल्लेख किया गया है, जिनके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाती है। इनमें भ्रष्टाचार, दुष्कर्म के अलावा दो समुदायों के बीच घृणा को बढ़ाना जैसे अपराध शामिल हैं। हालांकि, इसमें मानहानि का उल्लेख नहीं है।

आखिर किस मामले में राहुल को मिली सजा?

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था- नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी इन सभी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है? राहुल के इस बयान को लेकर गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था। पूर्णेश मोदी का कहना है कि राहुल ने पूरे मोदी समुदाय को चोर कहा है। बाद में सूरत कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई। हालांकि, उन्हें फौरन ही जमानत मिल गई थी।

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