सार

पीएम पैकेज के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी घाटी से अपने स्थानांतरण की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। यह कर्मचारी कश्मीरी पंडितों की आतंकवादियों द्वारा की जा रही हत्याओं से दहशत में हैं। कश्मीरी पंडितों को लगातार निशाना बनाए जाने से खौफजदा परिवार लगातार घाटी से पलायन कर रहे हैं। 
 

श्रीनगर। कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के कर्मचारियों ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से शरण के लिए अपील करने की धमकी दी है। कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार उनका घाटी से स्थानांतरण नहीं कर रही है जबकि वह आतंकियों के निशाने पर हैं। कश्मीरी पंडितों कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय शरण मांगेंगे अगर केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों पर हमलों के मद्देनजर उन्हें घाटी से स्थानांतरित करने में विफल रही।

पीएम पैकेज के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी घाटी से अपने स्थानांतरण की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। यह कर्मचारी कश्मीरी पंडितों की आतंकवादियों द्वारा की जा रही हत्याओं से दहशत में हैं। कश्मीरी पंडितों को लगातार निशाना बनाए जाने से खौफजदा परिवार लगातार घाटी से पलायन कर रहे हैं। 

राहुल भट, रजनी बाला आदि की हत्याओं के बाद पलायन तेज

मई में बडगाम जिले के चदूरा इलाके में राजस्व कर्मचारी राहुल भट की आतंकवादियों ने कार्यालय में घुसकर हत्या कर दी थी। इसी तरह अल्पसंख्यक समुदाय की एक सरकारी स्कूल शिक्षक रजनी बाला, कुलगाम जिले में उनके स्कूल में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मई में कई कश्मीरी पंडितों व प्रवासी श्रमिकों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया है। 

हत्याओं से दहशत में कश्मीरी पंडित

कश्मीरी पंडितों व प्रवासी श्रमिकों की हत्याओं से जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकवाद सिर उठाता दिख रहा तो सूबे में दहशत का माहौल है। 90 के दशक के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहा यह सबसे बड़ा पलायन माना जा रहा है। 

अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस पर राज्य के कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के यूनियन ऑल माइनॉरिटी एम्प्लॉइज एसोसिएशन कश्मीर (एएमईएके) के एक नेता संजय कौल ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी दिवस पर, हम मांग करते हैं कि हमारी चुनी हुई सरकार (केंद्र) कश्मीर में स्थिति में सुधार होने तक हमें राहत आयुक्त जम्मू के कार्यालय में स्थानांतरित और अटैच करे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में वेसु, मट्टन और बारामूला के पीएम पैकेज कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

सरकार से काफी उम्मीद लेकिन...

बडगाम में शेखपोरा प्रवासी कॉलोनी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर सरकार स्थानांतरण की उनकी मांग को पूरा करने में विफल रहती है, तो कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से उनकी सहायता के लिए आने की अपील करने के लिए मजबूर होंगे। कौल ने कहा कि अभी हमें अपनी चुनी हुई सरकार से उम्मीदें हैं। अगर यह हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहता है, जो केवल हमें स्थानांतरित करके हासिल किया जा सकता है, तो हमें शरण के लिए अपील करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

कौल ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रवासी कॉलोनी के दौरे के दौरान उन्होंने अल्पसंख्यक कर्मचारियों के साथ बातचीत के दरवाजे खुले रखने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि लेकिन ये दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। मुद्दों को एक बैठक में हल नहीं किया जा सकता है। हम 10 कदम उठाने को तैयार हैं लेकिन सरकार को कम से कम दो कदम उठाने दें।

कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के बाद मसलों पर बातचीत को जागी सरकार

कौल ने कहा कि पिछले 12 वर्षों से हमारी सेवा से संबंधित मसलों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। राहुल भट की हत्या और आंदोलन के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनके मुद्दों पर बातचीत की शुरूआत की। लेकिन क्या हमें अपना खून बहाकर सेवा मुद्दों का समाधान तलाशना है? कश्मीरी पंडितों को फिर से उसी दौर में नहीं धकेला जा सकता है। 

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार स्थानांतरण की उनकी मांग पर सहमत नहीं होने पर क्या कर्मचारी सेवा से इस्तीफा दे देंगे, कौल ने कहा, हम समय आने पर अपनी भविष्य की कार्रवाई की घोषणा करेंगे। फिलहाल हम कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार अभी तक सबको आवास तक नहीं दिला सकी

कौल ने दावा किया कि भट की हत्या के बाद से पीएम पैकेज के 4,800 कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत कश्मीर से भाग गए हैं। अल्पसंख्यक कर्मचारियों को आवास मुहैया कराने का सरकार का दावा झूठ है। उन्होंने दावा किया कि केवल 1,200 कर्मचारियों को आवास उपलब्ध कराया गया है जबकि बाकी किराए के मकान में रह रहे हैं।

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