सार
केरल के मल्लपुरम जिले के उत्तर नीलांबर फॉरेस्ट रेंज में गंभीर रूप से घायल पाये जाने के बाद हाथी ने दम तोड़ दिया। 10 दिन के अंदर एक और हाथी के मौत की खबर सामने आई है। इस हाथी का इलाज चल रहा था लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
मल्लपुरम. केरल में हाथियों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 10 दिन के अंदर एक और हाथी के मौत की खबर सामने आई है। केरल के मल्लपुरम जिले के उत्तर नीलांबर फॉरेस्ट रेंज में गंभीर रूप से घायल पाये जाने के बाद हाथी ने दम तोड़ दिया। वन विभाग के पशुचिकित्सकों द्वारा इस हाथी का इलाज चल रहा था लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि हाथी का पिछले पांच दिनों से इलाज किया जा रहा था। स्थानीय लोगों ने हाथी को घायल अवस्था में पाया और वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। जांच के बाद पता चला कि हाथी के शरीर पर कई घाव थे। उसे बेहोशी की दवा देकर उसका इलाज शुरू किया गया। चोटों के निशानों से मालूम पड़ता है कि इस हाथी की दूसरे हाथियों से लड़ाई हुई थी। यहां तक कि इस हाथी के उपचार के लिए वायनाड से चिकित्सकों की स्पेशल टीम को भी भेजा गया था। लेकिन हाथी ने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम के बाद हाथी के शव को वन विभाग के अधिकारियों ने जला दिया।
27 को पलक्कड़ में हुई थी गर्भवती हथिनी की मौत
इससे पहले 27 मई को केरल के ही पलक्कड़ में एक और हाथी की मौत की खबर आई थी। खबर के मुताबिक शरारती तत्वों ने अननास में विस्फोटक भरकर हथिनी को खिला दिया था जिसके बाद उसके निचले जबड़े में चोटें आईं और वह वेल्लियर नदी में तीन दिन खड़ी रही जहां उसने 27 मई को दम तोड़ दिया।
पिछले दो सालों में 190 हाथियों की मौत
वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल में अब तक 50 हाथियों की मौत हो चुकी है जिसमें से 3 अप्राकृतिक हैं जबकि 47 प्राकृतिक मौतें हैं। पिछले साल करीब 120 हाथियों की जान गई थी जिसमें से 10 अप्राकृतिक थीं जबकि 110 प्राकृतिक मौतें थीं। वहीं 2018 में कुल 90 हाथियों की मौत हुई थी जिसमें से 4 अप्राकृतिक थीं और 86 प्राकृतिक थीं।
इन अप्राकृतिक मौतों की वजहों में शिकार, करंट लगना, वाहनों से टक्कर, विस्फोटक शामिल हैं। जबिक प्राकृतिक कारणों में ज्यादा उम्र, बीमारी, लड़ाई, दुर्घटना आदि शामिल हैं।