सार

किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस के समर्थन में कहा कि नतीजा कुछ भी हो, दिल्ली पुलिस अपने रुख पर कायम रहे। सीनियर्स को पुलिसवालों की सुरक्षा करनी चाहिए। किरण बेदी ने 31 साल पुरानी घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने 1988 में ऐसा ही किया था।

नई दिल्ली. दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच विवाद में पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को लीडरशिप की सीख दी है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि हम अधिकार और जिम्मेदारी की बात करते हैं। सुरक्षा में नाकाम रहना उपेक्षा, कायरता और सहअपराध भी है। सीनियर्स को पुलिसवालों की सुरक्षा करनी चाहिए। मंगलवार को पुलिस हेडक्वार्टर के सामने पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन के दौरान किरण बेदी के लिए नारे लगाए थे। पुलिस कमिश्नर के संबोधन के दौरान पुलिसकर्मियों ने नारे लगाए थे कि पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो।

दिल्ली पुलिस अपने रुख पर कायम रहे : किरण बेदी 
किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस के समर्थन में कहा कि नतीजा कुछ भी हो, दिल्ली पुलिस अपने रुख पर कायम रहे। सीनियर्स को पुलिसवालों की सुरक्षा करनी चाहिए। किरण बेदी ने 31 साल पुरानी घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने 1988 में ऐसा ही किया था।

1988 में क्या हुआ था?
दिल्ली में जैसा विवाद छिड़ा है, वैसा ही 1988 में भी हुआ था, तब किरण बेदी नार्थ दिल्ली की डिप्टी कमिश्नर थीं। विवाद की शुरुआत जनवरी में एक वकील की गिरफ्तारी से हुई, जिसपर चोरी का आरोप लगा था। इसके बाद तीस हजारी कोर्ट के वकील तुरंत हड़ताल पर चले गए। उन्होंने आरोप लगाया था कि ऐसे मामलों में वकीलों को हथकड़ी नहीं लगानी चाहिए थी। यह हड़ताल जल्दी ही पूरे देश में फैल गई। इस दौरान दो हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें वकीलों ने आरोप लगाया कि किरण बेदी उनकी सुरक्षा करने में विफल रही हैं। 

वकीलों ने आरोप लगाया था कि किरण बेदी ने हमला करवाया 
आरोप लगा था कि वकीलों के एक समूह पर दो अलग-अलग हमले हुए, जिसमें एक किरण बेदी द्वारा और दूसरा उनके आदेश पर करवाया गया। आरोप है कि किरण बेदी के कार्यालय के बाहर पहली झड़प 21 जनवरी को हुई, जहां 18 वकील घायल हो गए। तब वकीलों ने पुलिस पर बल प्रयोग का आरोप लगाया था। तब किरण बेदी ने कहा था कि वकीलों ने उनके कार्यालय पर हमला किया, अश्लील बातें की और उन्हें धमकी दी। वकीलों के मुताबिक 17 फरवरी 1988 को तीस हजारी कोर्ट परिसर में कम से कम 3,000 लोगों की हिंसक भीड़ पहुंच गई। उन्होंने वकीलों के कार्यालयों पर हमले किए। वकीलों ने आरोप लगाया कि यह हमला किरण बेदी द्वारा करवाया गया। हालांकि बाद में कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।