सार
kisan andolan के दौरान Singhu Border पर फिर से एक किसान की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। किसान का शव नीम के पेड़ पर लटका मिला। यह किसान लंबे समय से आंदोलन का हिस्सा था। किसान ने सुसाइड की या मामला कुछ और है, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
सोनीपत. Singhu Border पर फिर एक किसान की मौत ने सबको चौंका दिया है। किसान का शव नीम के पेड़ पर लटका मिला। यह किसान लंबे समय से आंदोलन का हिस्सा था। हालांकि उसकी ट्रॉली के लोग पिछले दिनों पंजाब लौट गए थे। इस समय वो अकेला ही था। किसान ने सुसाइड की या मामला कुछ और है, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। मृतक किसान की पहचान गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है। वो अमरोह जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव रुड़की तहसील का रहने वाला था। 45 वर्षीय किसान बीकेयू सिद्धपुर से जुड़ा था। इसके लीडर जगजीत सिंह ढलेवाल हैं। जानकारी लगने पर कुंडली थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। पुलिस ने बताया कि बुधवार को हुड्डा सेक्टर 63/ 64 अंसल सुशांत सिटी नांगल रोड पर 45 साल के किसान गुरप्रीत सिंह पुत्र गुरमेल सिंह ने नीम के पेड़ पर रस्सी बांधकर फांसी लगा ली। हालांकि अभी इसके पीछे की वजह सामने नहीं आई है।
अक्टूबर में किसान की हुई थी हत्या
सिंघु बॉर्डर 14 अक्टूबर को एक किसान की हत्या के बाद विवादों में आया था। तब एक किसान 35 वर्षीय दलित युवक लखबीर सिंह की हत्या कर दी गई थी। घटना के पीछे निंहगियों (Nihange) की भूमिका सामने आई थी। आरोपियों का कहना था कि युवक ने गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) की बेअदबी की थी। इसलिए उसे तड़पा-तड़पाकर मौत दी गई। यह भी सामने आया था कि शव के पीछे आतंकी भिंडरावाले (Terrorist Bhindranwale) का पोस्टर लगा था। ऐसे में खालिस्तानियों (Khalistanis) के किसान आंदोलन (Farmer Protest) में घुसपैठ करने को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
twitter पर उठी थी हिंसक आंदोलन के Action की मांग
लखबीर सिंह की हत्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) में एक याचिका लगाकर सिंघु बॉर्डर खाली कराने की मांग उठाई गई थी। मृतक मजदूर था और पंजाब के तरन तारन का रहने वाला था। बता दें कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ किसान संगठन पिछले एक साल से आंदोलित हैं। करीब 40 किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा कई जगह धरना-प्रदर्शन कर रहा है। इस मामले में अभी तक सरकार से कोई समझौता नहीं हो सका है।
किसान करेंगे 29 नवम्बर को संसद तक ट्रैक्टर मार्च
एक बार फिर किसानों (Farmers) और सरकार (Central Government) के बीच बड़े बवाल की आशंका बढ़ गई है। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के एक साल पूरे होने पर किसानों ने संसद (Parliament) तक ट्रैक्टर मार्च (Tractor March) का ऐलान कर दिया है। किसानों का संसद तक ट्रैक्टर मार्च 29 नवम्बर को होगा। इसी दिन संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) को भी शुरू करने की सिफारिश की गई है। ऐसे में सरकार और किसानों के बीच टकराहट बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं।
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