स्वर्ग देखना है तो लद्दाख के इन 5 नए जिलों में एक बार जरूर जाएं...
- FB
- TW
- Linkdin
ज़ांस्कर
ज़ांस्कर पहले, लद्दाख के कारगिल जिले का एक तहसील था। प्रशासनिक केंद्र पदुम (ज़ांस्कर की पूर्व राजधानी) है। ज़ांस्कर, लद्दाख के पड़ोसी क्षेत्र के साथ मिलकर, कुछ समय के लिए पश्चिमी तिब्बत में गुगे राज्य का हिस्सा था। ज़ांस्कर NH301 पर कारगिल शहर से 250 किमी दक्षिण में स्थित है। ज़ांस्कर रेंज लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश में एक पर्वत श्रृंखला है जो ज़ांस्कर घाटी को लेह में सिंधु घाटी से अलग करती है। यह जिला जगमगाते जल निकाय और हरा-भरा लैंडस्केप से भरपूर है। यह ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, वॉटर राफ्टिंग जैसे साहसिक खेलों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। यहां घाटी में पदुम, लामायुरू और स्ट्रोंगडे जैसे प्रसिद्ध ट्रेकिंग मार्ग हैं। यह क्षेत्र अपने पुराने मठों, जैसे ज़ोंगला और ज़ोंगखुल के लिए भी प्रसिद्ध है। ज़ांस्कर घाटी की औसत ऊंचाई लगभग 6,000 मीटर है, जो इसे पर्वतारोहियों और एडवेंचर प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाती है।
द्रास
द्रास को स्थानीय रूप से शिना में हिमाबाब्स, हेमबाब्स या हुमास के नाम से भी जाना जाता है। हेम-बाब्स यानी बर्फ की धरती। हेम का अर्थ बर्फ होता। यह कारगिल के पास स्थित शहर और हिल स्टेशन है। यह ज़ोजी ला दर्रे और कारगिल के बीच NH 1 पर स्थित है। इसे "लद्दाख का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है, दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा निवास स्थान है। कारगिल जिले के नजदीक स्थित यह क्षेत्र अपने ठंडे तापमान और सुंदर परिदृश्य के लिए प्रसिद्ध है।
शाम घाटी
लद्दाख में बना नया जिला शाम भी बेहद खास है। इसे "खुबानी घाटी" के रूप में जाना जाता है जोकि लद्दाख के पश्चिमी भाग में स्थित एक सुरम्य क्षेत्र है। राजसी हिमालय के बीच बसी यह शांत घाटी अपने लुभावने पर्यटन स्थलों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शांत गांवों के लिए जानी जाती है। शांति और रोमांच की तलाश करने वाले पर्यटकों के लिए यह एक शानदार गंतव्य है। लोकल भाषा में "शाम" नाम का अर्थ "पश्चिम" है। इस घाटी की विशेषता इसके हरे-भरे खेत हैं जो खुबानी और सेब के बागों से भरे हुए हैं। यह इलाका फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। शाम घाटी में भारतीय सेना को समर्पित संग्रहालय हॉल ऑफ़ फ़ेम है। गुरुद्वारा पत्थर साहिब, एक प्रतिष्ठित सिख तीर्थस्थल है जो गुरु नानक देव जी की लद्दाख यात्रा की याद में बनाया गया था। मैग्नेटिक हिल, काली मंदिर, सिंधु और ज़ांस्कर का संगम, लिकिर मठ,अलची मठ,रिज़ोंग मठ, उलेयटोकपो आदि पर्यटन का प्रमुख केंद्र है।
नुब्रा
गृह मंत्रालय द्वारा बनाया गया नया जिला नुब्रा भी दुनिया के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने वाला क्षेत्र है। नुब्रा घाटी मध्य एशिया के पुराने सिल्क रोड का हिस्सा है। इसे फूलों की घाटी भी कहा जाता है। नुब्रा को लदुमरा के नाम से जाना जाता है जिसका लद्दाखी भाषा में अर्थ है "फूलों की घाटी"। यह घाटी कराकोरम दर्रे के ज़रिए पूर्वी तिब्बत को तुर्किस्तान से जोड़ती है। नुब्रा घाटी अपने सदियों पुराने गोम्पा, गर्म सल्फर स्प्रिंग्स, उच्च ऊंचाई वाले रेत के टीलों, दो कूबड़ वाले बैक्ट्रियन ऊंटों और पहाड़ों, नदियों और रेगिस्तानों के एक अनोखे संगम के लिए प्रसिद्ध है। यह सियाचिन ग्लेशियर का प्रवेश द्वार भी है। हालांकि, नुब्रा घाटी में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को इनर लाइन परमिट (ILP) की आवश्यकता होती है।
चांगथांग
लद्दाख का नया जिला चांगथांग भी अपनी जैविक विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां की सैंक्चुरी में वनस्पतियों और जीवों की विविधता का विशाल संग्रह है। यह जिला लेह जिले में से काटकर बनाया गया है। यहां पर पृथ्वी पर सबसे ऊंची झील त्सो मोरीरी है। इस जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा गांव, कोरज़ोक गांव भी है। यहां के कोरज़ोक मठ के लिए पर्यटकों का तांता लगा रहता है। पर्यटक यहां दुर्लभ हिम तेंदुए को देखने के अलावा, कोई कियांग या जंगली गधे के साथ-साथ काली गर्दन वाले क्रेन को भी देखने आते हैं। इसके अलावा तिब्बती भेड़िया, जंगली याक, भारल, भूरा भालू और मोर्मोट जैसे कई दुर्लभ जीव भी देखे जा सकते हैं। यहां पक्षियों की विविधता भी देखने को मिलेगी। लगभग 44 प्रकार के जलपक्षी और प्रवासी पक्षियों की मौसमी प्रजातियां भी यहां पाई जाती हैं।
यह भी पढ़ें:
आपकी शिकायतों को अब 21 दिनों में निपटाएगी 'सरकार', जानें क्या है नया नियम?