सार

दुनिया को योग से नए सिरे से परिचित कराने में 21 जून का भी कम योगदान नहीं है। साल 2015 में 21 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। यह सफर देखते ही देखते सात साल का पड़ाव पार कर लिया। कोरोना काल में भी दुनिया ने योग को खूब अपनाया।

नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति में योग रचा-बसा है। मन-मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए प्राचीन भारत में ऋषियों ने योग के उच्चतम विधा को अपनाया और खुद को आत्मनियंत्रित किया। माना जाता है कि योग शरीर की इंद्रियों को नियंत्रित करने की क्षमता देता है जिससे निरोग रहा जा सकता है। ‘योग  भगाए रोग’ तो सदियों पुरानी कहावत है। 
लेकिन समय का पहिया घूमा और हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल हो गए। जीवन की आपाधापी के बीच अपनी प्राचीन पद्धति को भूलने लगे जिसका खामियाजा तमाम तरह की शारीरिक बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। 
हालांकि, बीते कुछेक सालों में देश ही नहीं दुनिया ने योग की उपयोगिता को समझा और इसको अपनी दिनचर्या में शामिल किया। दुनिया को योग से नए सिरे से परिचित कराने में 21 जून का भी कम योगदान नहीं है। साल 2015 में 21 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। यह सफर देखते ही देखते सात साल का पड़ाव पार कर लिया। कोरोना काल में भी दुनिया ने योग को खूब अपनाया। आईए जानते हैं योग से जुड़ी कुछ अहम बातें...कैसे इसकी हुई थी शुरूआत, क्यों 21 जून ही चुना गया योग दिवस के लिए। 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की कैसे हुई शुरुआत

पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। 27 सितम्बर 2014 को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पूर्ण बहुमत से पास किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से 177 ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी।

21 जून को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

सबके जेहन में एक सवाल आता है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है। दरअसल, भारतीय वैदिक गणित के गणना के अनुसार यह दिन तय किया गया है। भारतीय गणना के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है। योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। माना जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी होता है। इसी वजह से 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाते हैं।