सार

Delhi-NCR में वायु प्रदूषण(Air Pollution) की स्थिति में सुधार हुआ है। वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान की प्रणाली(SAFAR-India) के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) वर्तमान में दिल्ली में ओवरऑल 142 है, जो मध्यम दर्जे में है। यानी खतरनाक स्थिति से नीचे आ गया है।

नई दिल्ली. मौसम में बदलाव के साथ ही Delhi-NCR में वायु प्रदूषण(Air Pollution) की स्थिति में सुधार दिखाई देने लगा है। वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान की प्रणाली(SAFAR-India) के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) वर्तमान में दिल्ली में ओवरऑल 142 है, जो मध्यम दर्जे में है। यानी खतरनाक स्थिति से नीचे आ गया है।

कोरेाना की पाबंदियों का असर भी
वायु प्रदूषण में कमी की एक वजह कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के चलते लगाई गई पाबंदियां भी बताई जा रही हैं। नाइट कर्फ्यू से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों पर बैन का असर प्रदूषण कम करने में हुआ है। पिछले बार भी जब लॉकडाउन लगाया गया था, तब वायु प्रदूषण में कमी आई थी।

भारत में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा
ब्लूमबर्ग में छपी खबर के अनुसार, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर(Centre for Research on Energy and Clean Air) की एक रिपोर्ट मे कहा गया कि 2019 में जब राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम(National Clean Air Programme ) शुरू हुआ था, तब से 102 शहरों को प्रदूषण स्तर के मानकों के नीचे दर्ज किया गया था, जो अब 132 शहर हैं। CREA के अनुसार वायु प्रदूषण के लिए सीमित फंडिंग, तेल रिफाइनरियों तक के उद्योगों के लिए सख्त उत्सर्जन मानकों की कमी और निगरानी वायु गुणवत्ता में रोड़ा मानी जाती है। रिपोर्ट में लेखक शिवांश घिल्डियाल और सुनील दहिया ने कहा कि भारत सरकार को प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। उत्सर्जन भार को कम करने के लिए सभी क्षेत्रों में कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 90% से अधिक आबादी उन क्षेत्रों में रहती है, जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से नीचे है। प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र, कारखाने और वाहन हैं। सर्दियों के दौरान किसानों द्वारा फसल के पराली जलाने के कारण समस्या और बढ़ जाती है, आमतौर पर राजधानी नई दिल्ली सहित उत्तरी शहरों में घुटन भरी स्मॉग की चादर बिछ जाती है।

1.67 मिलियन लोगों की मौत
CREA की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2019 में अनुमानित 1.67 मिलियन लोगों की मृत्यु गंदी हवा के कारण हुई। हेल्थ पर अधिक व्यय आदि से देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। CREA रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की राष्ट्रीय रणनीति का लक्ष्य 2017 के स्तर से 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन को 30% तक कम करना है, हालांकि अभी तक कुछ शहरों और देश के किसी भी राज्य-स्तरीय प्राधिकरण ने कार्य योजना नहीं दी है।

क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स
वायु प्रदूषण का मतलब हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य गैसों व धूलकणों के विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक होना है। वायु प्रदूषण के सूचकांक को संख्या में बदलकर एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया जाता है। इससे पता चलता है कि हवा कितनी शुद्ध या खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के छह कैटेगरी हैं।

  • अच्छा (0–50)- इसका मतलब है कि हवा साफ है। इससे सेहत पर खराब असर नहीं पड़ेगा। 
  • संतोषजनक (51–100)- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत हो सकती है।
  • मध्यम प्रदूषित (101–200)- अस्थमा जैसे फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो सकती है। 
  • खराब (201–300)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
  • बहुत खराब (301–400)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों में सांस की बीमारी हो सकती है। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में प्रभाव अधिक स्पष्ट हो सकता है।
  • गंभीर रूप से खराब  (401-500) - स्वस्थ लोगों में भी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है।

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