सार
चुनाव आयोग के जम्मू-कश्मीर में चुनाव के इंतजामों को परख कर लौटने के बाद इलेक्शन डेट्स का ऐलान कर दिया जाएगा।
Lok Sabha election dates: अगले सप्ताह देश में आम चुनावों का ऐलान हो सकता है। भारत चुनाव आयोग सूत्रों के अनुसार, गुरुवार या शुक्रवार को देश में होने वाले लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी कर आचार संहिता भी लागू कर दी जाएगी। चुनाव आयोग के जम्मू-कश्मीर में चुनाव के इंतजामों को परख कर लौटने के बाद इलेक्शन डेट्स का ऐलान कर दिया जाएगा। एक दशक बाद जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाली की तैयारियां दिख रही है। यहां विधानसभा चुनाव 2014 के बाद से नहीं हो सके हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने भारत चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया है कि वह आंकलन कर यह बताए कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कबतक संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी सूरत में सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है। अब चुनाव आयोग इन संभावनाओं को तलाश रहा है कि क्या केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। इसी संभावनाओं को खंगालने के लिए आयोग की एक टीम जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगी। इस टीम के बुधवार तक वापस आने की संभावना है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अरुण गोयल सहित पूरा पैनल केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करेगा।
जम्मू-कश्मीर से आयोग के लौटने के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान
जम्मू-कश्मीर से चुनाव आयोग की टीम वापस आएगी, इसके बाद देश के आम चुनावों का ऐलान कर दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो गुरुवार या शुक्रवार को चुनाव आयोग प्रेस कांफ्रेंस कर शेड्यूल जारी करेगा। चुनाव की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी।
आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए
जम्मू और कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आया था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भी केंद्र सरकार के फैसले को यथावथ रखा। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश दिया था।
छह साल से राष्ट्रपति शासन
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे तो 2018 के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। दरअसल, 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और बीजेपी ने गठबंधन कर सरकार बनाया था। 2018 में भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार गिर गई। उसके बाद से राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है। यहां राष्ट्रपति शासन लागू है।
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