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Election Special: जानें कहां सबसे पहले हुआ था EVM का इस्तेमाल, क्यों दर्ज नहीं होता गलत वोट

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) होने को है। मतदाता सरकार चुनने के लिए ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की मदद से वोट डालेंगे। पहले वोट डालने के लिए कागज के बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता था।

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Vivek Kumar
Published : Mar 06 2024, 04:22 PM IST| Updated : Mar 06 2024, 05:47 PM IST
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Image Credit : Election Commission of India

ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का निर्माण दो सरकारी कंपनी ECIL (इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और बीईएल (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) द्वारा किया जाता है। इसका निर्माण निर्वाचन आयोग के निरीक्षण में स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञ समिति के विशेषज्ञों की देखरेख में होता है।

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Image Credit : Election Commission of India

ईवीएम के इस्तेमाल से बूथ पर कब्जा करने की घटनाएं खत्म हुईं। मतपत्रों की गिनती में देरी और अन्य खामियां भी दूर हुईं। पहले वोट गिनने में 24 से 48 घंटे लगते थे। अब 3-6 घंटे में यह काम हो जाता है।

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Image Credit : X- indianhistorypics

प्रत्येक EVM की जांच की जाती है, उसे राजनैतिक दलों की मौजूदगी में सीलबंद किया जाता है। नाम निर्देशन होने तक कोई नहीं कह सकता कि ईवीएम का कौन सा बटन किस उम्मीदवार को दिया गया है। मतदान केंद्र पर इस्तेमाल की गई सभी ईवीएम की क्रम संख्या उम्मीदवार को दी जाती है।

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Image Credit : X- DIPR Kargil

वोटिंग शुरू होने से पहले मॉक पोल किया जाता है। कोई गड़बड़ी नहीं होने पर ही मतदान होता है। मतदान के बाद EVM को सीलबंद किया जाता है। इसे वोटों की गिनती के समय खोला जाता है। ईवीएम की सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है कि इसे हैक नहीं कर सकते। इसके इस्तेमाल के लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं है, जिसके चलते इसे एक बार में कई ईवीएम से साथ छेड़खानी का खतरा नहीं होता।

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Image Credit : X- DC/DM Gangtok

EVM के तीन हिस्से (कंट्रोल यूनिट, बैलेटिंग यूनिट और वीवीपैट) होते हैं। बैलेटिंग यूनिट पर उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न होता है। वोटर जब उम्मीदवार के नाम के आगे लगे नीले बटन को दबाते हैं तो उनका वोट मशीन में दर्ज हो जाता है। एक मशीन से 2000 वोट दर्ज होते हैं। एक बैलेटिंग यूनिट में 16 प्रत्याशियों के नाम दर्ज करने की जगह होती है। इससे अधिक प्रत्याशी होने पर एक से अधिक बैलेटिंग यूनिट का इस्तेमाल होता है।

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Image Credit : X-DIP Goa

पहले जब मत पत्र इस्तेमाल होता था तब बड़ी संख्या में वोट अवैध हो जाते थे। कई चुनाव में अवैध मतों की संख्या जीतने के अंतर की मत संख्या से अधिक होती थी। अब ईवीएम के इस्तेमाल से कोई मत अवैध नहीं होता है।

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Image Credit : Electronic Commition of India

पहले आम चुनाव 1951 से 1952 के दौरान हुए थे, जिनमें करीब 17 करोड़ मतदाता थे। लोकसभा की 489 सीटों के लिए 1874 उम्मीदवार खड़े हुए थे।

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Image Credit : Getty

पहले आम चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक अलग बैलेट बॉक्स रखा गया था। देशभर के मतदान केंद्रों से बैलेट पेपर जमा करने के लिए धातु के 24,73,850 और लकड़ी के 1,11,095 बक्सों का इस्तेमाल किया गया था। 1951 के आम चुनाव में कुछ मतपेटियों में सिंदूर, चावल और फूल मिले थे। इससे पता चलता है कि कुछ मतदाता चुनाव को दिव्यता से जोड़कर देखते थे।

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Image Credit : social media

19 मई 1982 को केरल के पेरूर विधानसभा क्षेत्र में हुए मध्यावधि चुनाव में सबसे पहले 50 ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। यह प्रयोग सफल रहा था। 1998 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में 16 विधानसभा क्षेत्रों में 2930 मतदान केंद्रों पर ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था।

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Image Credit : Getty

2004 के 14वें आम चुनावों में सभी लोकसभा क्षेत्रों के लिए ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद से 4 लोकसभा और 122 राज्य विधानसभा चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया गया है। वी.वी. पैट का सितंबर 2013 में नागालैंड के 51 नोक्सेन विधासभा क्षेत्र में पहली बार इस्तेमाल किया गया था। वी.वी. पैट मशीन से मतदाता यह सत्यापित कर पाते हैं कि उनका वोट उसी उम्मीदवार को गया है, जिसे वे देना चाहते थे।

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Vivek Kumar
विवेक कुमार। डिजिटल मीडिया में 12 साल का अनुभव। मौजूदा समय में एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रहे हैं। नेशनल, वर्ल्ड, ट्रेन्डिंग टॉपिक, एक्सप्लेनर, डिफेंस, पॉलिटिक्स जैसे टॉपिक में इनका इंट्रेस्ट है। इन्होंने एमएससी किया हुआ है। मूलतः ये बिहार के रहने वाले हैं।

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