सार
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में राजपूत समुदाय भाजपा से अलग होने के संकेत दे रहा है। पढ़ें अनीश कुमार का विश्लेषण...
नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव 2024 हो रहे हैं। इस बीच गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में राजपूत समाज भाजपा से बागवत के संकेत दे रहा है। कई ऐसी वजहें हैं जिनसे राजपूत समाज को लग रहा है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।
राजपूत समाज लंबे समय से अपने पूर्वजों, जैसे कि गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज के पूर्वजों के संबंध में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का विरोध कर रहा है। इसपर गुर्जर समुदाय अपना दावा कर रहा है। गुर्जरों द्वारा यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि राजपूत योद्धा पृथ्वी राज चौहान उनके पूर्वज थे। राजपूत नेताओं का आरोप है कि यह सब राज्य सरकार और आरएसएस की नाक के नीचे हो रहा है। हाल ही में गुजरात में केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला की क्षत्रियों के खिलाफ एक विवादास्पद टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया। उनके खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारी राजकोट से उनकी उम्मीदवारी वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भगवा साड़ी पहने राजपूत महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें महिला पुलिस को महिला प्रदर्शनकारियों से भिड़ते देखा जा सकता है।
रूपाला ने क्षत्रियों के खिलाफ कही थी ये बात
22 मार्च को राजकोट में एक दलित कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद परषोत्तम रूपाला ने कहा कि तत्कालीन 'महाराजाओं' ने अंग्रेजों से अपनी बेटियों की शादी कर दी थी। उन्होंने कहा, "यहां तक कि राजाओं और राजघरानों ने भी अंग्रेजों के सामने घुटने टेक दिए थे। उनके साथ पारिवारिक संबंध बनाए। उनके साथ खाना खाया और यहां तक कि अपनी बेटियों की शादी भी उनसे की। लेकिन हमारे रुखी समाज (एक दलित समुदाय) ने न तो अपना धर्म बदला और न ही ऐसे संबंध बनाए। हालांकि उन्हें सबसे अधिक सताया गया।"
रूपाला का यह विवादित बयान जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए। गुजरात में क्षत्रियों की आबादी 17 प्रतिशत है। इन्हें भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। विवाद बढ़ने पर रूपाला ने अपने बयान के लिए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था, "मैंने जो कहा वह मेरा मतलब नहीं था। यह मेरे लिए बहुत अफसोस की बात है कि मेरे मुंह से ऐसे शब्द निकले।"
राजस्थान तक फैल गया है विरोध
रूपाला के बयान के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन राजस्थान के कई हिस्सों में फैल गया है। करणी सेना ने बीजेपी को राजकोट से उम्मीदवार बदलने के लिए कहा है। राजपूत संगठनों के सदस्य राज्य में भाजपा के खिलाफ वोट करने के लिए अपनी जाति के लोगों को कह रहे हैं। राजस्थान में राजपूत वोट बैंक अहम है। उनका गुस्सा भाजपा की संभावना को बिगाड़ सकता है।
एशियानेट न्यूजेबल से दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. सनी कुमार ने कहा, "विरोध इतिहास के विरूपण के साथ शुरू हुआ है। मिहिर भोज के मामले में भाजपा नेताओं ने इस तथ्य के बावजूद गुर्जरों का समर्थन किया कि वह एक राजपूत शासक थे। उनके वंशजों का कहना है कि वे राजपूत हैं। इसी तरह, पृथ्वीराज चौहान पर भी गुज्जरों ने दावा किया था। सुहेलदेव बैंस पर पासी समुदाय द्वारा दावा किया जा रहा है। राणा पुंजा परमार भी राजपूत थे, लेकिन राजस्थान में भील समुदाय अब दावा कर रहा है कि वह उनकी जनजाति से थे। इन सभी मामलों में भाजपा इस समुदायों का समर्थन कर रही थी।"
डॉ. सनी कुमार के अनुसार विरोध तब और बढ़ गया जब पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) मामले की तरह राजपूतों को उन निर्वाचन क्षेत्रों से टिकट देने से इनकार कर दिया गया जहां उनकी संख्या अधिक है। झारखंड में भाजपा के दो राजपूत सांसद थे। पार्टी ने उनका टिकट काटकर अन्य समुदायों को दे दिया। बिहार को छोड़कर, भाजपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में राजपूत नेतृत्व को दरकिनार कर दिया है। रूपाला के बयान ने आग में घी का काम किया। श्री राम मंदिर ट्रस्ट में राजपूतों को शामिल नहीं किया गया था।
वीके सिंह का टिकट काटे जाने से है गुस्सा
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में राजपूतों की आबादी करीब 10 प्रतिशत है। इसके बाद भी इस समाज से कम लोगों को टिकट दिया गया है। इससे समाज में नाराजगी है। गाजियाबाद में वीके सिंह की जगह बनिया समुदाय से आने वाले अतुल गर्ग को मंत्री बनाए जाने पर सदस्य भड़क गए। 26 सीटों वाले पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों को सिर्फ एक सीट मोरादाबाद मिली है।
उत्तर प्रदेश में राजपूत नेता ठाकुर पूरन सिंह गांव-गांव जा रहे हैं। वे उन मुद्दों को उठा रहे हैं जिन्हें समुदाय के साथ अन्याय के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, "भाजपा ठाकुर समुदाय को किनारे कर रही है। वे राजपूतों के गौरवशाली इतिहास को खराब करने में लगे हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) श्रेणी में समान अधिकारों से इनकार कर रहे हैं। अब लोकसभा में समान प्रतिनिधित्व से इनकार कर दिया है।"
बदा दें कि भाजपा ने समुदाय को शांत करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आगे बढ़ाया है ताकि आगामी चुनावों में खेल खराब न हो।