सार

18 वीं लोकसभा के अध्यक्ष बनते ही ओम बिरला ने बुधवार को सदन में ऐसी बात कह दी, जिससे पहले दिन ही लोकसभा में हंगामा मच गया।

नई दिल्ली. लोकसभा अध्यक्ष बनते ही ओम बिरला ने बुधवार को कांग्रेस को घेर लिया। उन्होंने आपातकाल की निंदा कर दी। जिससे सदन में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। ओम बिरला ने इमरजेंसी और देश के इतिहास में एक काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल में संविधान की भावनाओं को कुचला है। जबकि हम संविधान की रक्षा करेंगे।

तानाशाह सरकार और नसबंदी के मुद्दे पर घेरा

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कांग्रेस को तानाशाह सकरार बताया। उन्होंने नसबंदी के मुद्दे को भी उठाया। ओम बिरला ने साफ शब्दों में कहा कि ये सदन 1975 में हुए आपातकाल की कड़े शब्दों में निंदा करता है।

युवा पीढ़ी जरूर जानें काला अध्याय

ओम बिरला ने बताया कि 1975 में आज ही के दिन कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था। तब इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगी थी। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानकारी होना चाहिए।

भारतीयों का जीवन तबाह कर दिया

इमरजेंसी पर बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी ने भारत के कई नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था। कई लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वो भारत के नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं। उन्होंने इस दौरान पूरे सदन को दो मिनट का मौन रखवाया।

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इमरजेंसी में जबरन कराई नसबंदी

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस ने जबरन नसबंदी को अनिवार्य कर दिया था। शहरों से जबरन अतिक्रमण हटाने के नाम पर मनमानी की गई थी। जनता को सरकार की कुनीतियों का प्रहार झेलना पड़ा था। उन्होंने कहा कि 1975 से 1977 तक का वो काला कालखंड अपने आप में एक ऐसा कालखंड है। जो हमें संविधान के सिद्धांतों, संघीय ढांचे और न्यायिक स्वतंत्रता के महत्व की याद दिलाता है।

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