सार

इस एनकाउंटर को महाराष्ट्र पुलिस के C-60 कमांडर्स (C-60 commanders) ने अंजाम दिया है। कुछ दिनों पहले ही राज्य में दो लाख का इनामी नक्सली मंगारु मांडवी को अरेस्ट किया गया था। 

मुंबई। झारखंड (Jharkhand) में एक करोड़ के इनामिया माओवादी नेता (Maoist leader) की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) में पुलिस ने चार नक्सलियों (4 Naxalites gundown) को मार गिराया है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली (Gadhchirauli) में पुलिस एवं नक्सलियों के बीच हुए एनकाउंटर में चार नक्सलियों को ढेर किया गया है। इस एनकाउंटर को महाराष्ट्र पुलिस के C-60 कमांडर्स (C-60 commanders) ने अंजाम दिया है। कुछ दिनों पहले ही राज्य में दो लाख का इनामी नक्सली मंगारु मांडवी को अरेस्ट किया गया था। नक्सलियों के काल C-60 कमांडोज, गढ़चिरौली का एक जाना पहचाना यूनिट है जिसका गठन ही नक्सलियों के खिलाफ एक्शन के लिए किया गया था। इनका रिक्रूटमेंट भी नक्सली क्षेत्रों से होता है। 

90 के दशक में C-60 को किया गया था गठन

नक्सली गतिविधि सबसे पहले 1980 के दशक में तत्कालीन आंध्र प्रदेश से महाराष्ट्र में फैली थी। महाराष्ट्र का गढ़चिरौली इलाका नक्सलियों का गढ़ बनता गया। गढ़चिरौली साल 1982 में चंद्रपुर जिले से अलग होकर जिला बना था। नक्सली हिंसा का गढ़ बन चुके इस क्षेत्र में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए साल 1990 में एक स्पेशल फोर्स बनाने की कवायद शुरू हुई। 

फोर्स बनाने की जिम्मेदारी केपी रघुवंशी को

तत्कालीन पुलिस अधिकारी केपी रघुवंशी को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह एक खास फोर्स का गठन करें। केपी रघुवंशी 26/11 के हमलों के दौरान हेमंत करकरे के निधन के बाद एटीएस चीफ बने थे। केपी रघुवंशी ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र से ही 60 कमांडोज को भर्ती किया। यह पहला बैच था। उन्होंने इन्हीं क्षेत्रों से कमांडो भर्ती इसलिए किए क्योंकि नक्सलियों ने भी यहीं इसी क्षेत्र से अपनी टीम बनाई थी जो कहर ढा रहे थे। एक ही क्षेत्र से होने की वजह से C-60 को नक्सलियों की गतिविधियां, उनकी चाल को समझने में आसानी हुई। C-60 अब नक्सलियों पर नकेल कसने लगा।

1994 में दूसरा बैच भी तैयार

उधर,  C-60 कमांडोज से खौफ खाए नक्सलियों ने अपनी टीम को बढ़ाना शुरू किया तो केपी रघुवंशी ने कमांडोज की एक दूसरी बैच भी तैयार कर दी। यह काम उन्होंने चार साल के भीतर ही 1994 में किया। C-60 यूनिट का आदर्श वाक्य 'वीरभोग्य वसुंधरा' या 'द ब्रेव विन द अर्थ' है।

कहां होता है प्रशिक्षण

सी-60 घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों जैसे कठिन युद्ध के मैदानों में युद्ध के लिए योग्य है। कमांडो को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड परिसर, मानेसर, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, हजारीबाग, जंगल वारफेयर कॉलेज, कांकेर और अपरंपरागत ऑपरेशन प्रशिक्षण केंद्र, नागपुर सहित देश के विशिष्ट संस्थानों में प्रशिक्षित किया जाता है।

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