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मणिपुर में हिंसा को 3 महीने से रोक पाने में क्यों विफल हुई सरकार, जानिए शांति बहाली के सामने आ रहीं कौन सी प्रमुख चुनौतियां

Manipur 10 challenges: मणिपुर में कुकी आदिवासी समुदाय और मैतेई लोगों के बीच तीन महीना से हिंसा जारी है। दोनों समुदायों के लोग जनजातीय आर्थिक लाभ और कोटा साझा करने को लेकर आपस में लड़ रहे। हिंसा को रोकने के लिए सारे प्रयास विफल रहे हैं। 

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Dheerendra Gopal
Published : Jul 29 2023, 12:44 AM IST| Updated : Jul 29 2023, 12:48 AM IST
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Image Credit : PTI

मणिपुर हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई दिनों तक कैंप किया। शांति बहाली के लिए गृह मंत्रालय ने राज्यपाल अनुसुइया उइके के नेतृत्व में पीस कमेटी गठित की। लेकिन कुकी और मैतेई दोनों समुदायों के प्रभावशाली नागरिक ग्रुप्स ने विभिन्न कारणों से पीस कमेटी से खुद को अलग कर लिया। मंत्रालय की गठित पीस कमेटी पूरी तरह विफल रही।

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Image Credit : Getty

सरकार पिछले दरवाजे से भी मैतेई सिविल सोसाइटी और कुकी विद्रोही समूहों के साथ बातचीत कर रही है। दोनों पक्षों से बातचीत कर हिंसा को रोकने का प्रयास हो रहा है लेकिन इन वार्ताओं से दोनों पक्षों के बीच विश्वास कायम करना अभी काफी लंबी प्रक्रिया लग रही। सरकार पर भरोसा कायम होने के बाद ही दोनों पक्ष किसी भी समझौता या शांति बहाली की ओर अग्रसर हो सकेंगे।

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Image Credit : our own

मणिपुर सरकार और मैतेई समाज, किसी भी सूरत में क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करना चाहता। जबकि कुकी समुदाय का कहना है कि 60 सदस्यीय विधानसभा में 40 विधायक मैतेई लोगों का है और उनका राजनीतिक प्रभुत्व है। ऐसे में कुकी समाज अलग एडमिनिस्ट्रेशन की मांग कर रहा।

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Image Credit : social media

मैतेई और कुकी दोनों सिक्योरिटी फोर्सेस पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। कुकी समुदाय, मणिपुर पुलिस पर पक्षपाती होने का आरोप लगा रहा। जबकि मैतेई समाज असम राइफल्स पर अविश्वास कर रहा। दरअसल, केंद्रीय बल राज्य में असीमित समय तक नहीं रह सकते। ऐसे में राज्य में पुलिस की जिम्मेदारी कानून-व्यवस्था को लेकर होगी और असम राइफल्स म्यांमार से लगे बार्डर की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएंगे।

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Image Credit : our own

भाजपा के पूर्वोत्तर के सबसे बड़े संकट मोचक भी मणिपुर में फेल हो चुके हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य प्रवास के बाद संघर्ष विराम कराने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी। हिमंत बिस्वा सरमा दोनों पक्षों से बातचीत शुरू किए थे कि 2017 का एक लेटर अचानक लीक हो गया। लीक हुआ लेटर, कुकी विद्रोहियों के संघर्ष विराम के लिए गुप्त समझौता को सामने ला दिया। इस लेटर के सामने आने के बाद मैतेई समुदाय का उन पर विश्वास खत्म हो गया।

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Image Credit : twitter

कुकी समुदायों ने बातचीत में शामिल होने से इसलिए इनकार कर दिया कि एन बीरेन सिंह को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से जबतक हटाया नहीं जाएगा वह किसी भी बातचीत का हिस्सा नहीं होंगे। कुकी समुदाय के इतर मैतेई समाज बीरेन सिंह के सपोर्ट में है।

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Image Credit : Getty

मणिपुर का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय नागा, इस संघर्ष से बाहर है। नागा समाज की राजनीतिक पार्टी नागा पीपुल्स फ्रंट, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ है। वह शांति बहाली के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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Image Credit : Asianet News

मिज़ोरम और उसके मुख्यमंत्री का इन्वाल्वमेंट भी मणिपुर सरकार और मैतेई को परेशान कर रहा है। दरअसल, मिजो जनजाति का कुकी, जो और चिन जनजातियों के साथ नजदीकी संबंध है। केंद्र और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की नाराजगी के बाद भी मिजोरम सरकार ने म्यांमार और मणिपुर के विस्थापितों को आश्रय दिया है।

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Image Credit : Asianet News

मणिपुर के प्रमुख हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को वापस ले लिया गया है। अफ्स्पा कानून के खत्म किए जाने से राज्य के कई क्षेत्रों में सैन्य अभियानों के लागू करने में टेक्निकल समस्याएं पैदा हो रही है।

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Image Credit : Asianet News

मणिपुर तीन मई से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। चार मई को भीड़ द्वारा दो नग्न महिलाओं का परेड कराए जाने की घटना हुई थी। राज्य में हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हुई है। यहां मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच संघर्ष हो रहा है। कई हजार लोग बेघर हो चुके हैं। सैकड़ों घरों को आग के हवाले दंगाई कर चुके हैं। राज्य में शांति बहाली के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर उनके सहयोगी राज्यमंत्री नित्यानंद राय के अलावा सेना व सुरक्षा बलों के बड़े अफसर कैंप कर चुके हैं। शांति बहाली की हर कोशिश नाकाम साबित हो रही हैं।

About the Author

DG
Dheerendra Gopal
धीरेंद्र गोपाल। 2007 से पत्रकारिता कर रहे हैं, 18 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी में काम कर रहे हैं। पूर्व में अमर उजाला से करियर की शुरुआत करने के बाद हिंदुस्तान टाइम्स और राजस्थान पत्रिका में रिपोर्टिंग हेड व ब्यूरोचीफ सहित विभिन्न पदों पर इन्होंने सेवाएं दी हैं। राजनीतिक रिपोर्टिंग, क्राइम व एजुकेशन बीट के अलावा स्पेशल कैंपेन, ग्राउंड रिपोर्टिंग व पॉलिटिकल इंटरव्यू का अनुभव व विशेष रूचि है। डिजिटल मीडिया, प्रिंट और टीवी तीनों फार्मेट में काम करने का डेढ़ दशक का अनुभव।
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